पटनाः बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के कार्यालय के कंप्यूटर से गोपनीय डाटा डिलीट होने के मामले में अब आर्थिक अपराध इकाई(ईओयू) के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसका नेतृत्व साइबर एसपी डी अमरकेश करेंगे। छह सदस्यीय एसआईटी को इस गंभीर साइबर अपराध की तह तक जाने का जिम्मा सौंपा गया है। ईओय़ू ने पहले ही विधान परिषद के छह कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। अब एसआईटी इस मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगी।
सूत्रों के अनुसार एसआईटी टीम विधान परिषद के सभापति के चैंबर में लगे कंप्यूटर से डाटा डिलीट होने के पीछे के मकसद, साजिश और दोषियों का पता लगाएगी। ईओयू ने कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को फॉरेंसिक जांच के लिए अपने कब्जे में लिया है और डाटा रूम को सील कर दिया है।
6 जून 2025 को यह मामला उजागर हुआ था, तब नीति शाखा के एक कंप्यूटर से महत्वपूर्ण डाटा अनधिकृत रूप से हटाए जाने की शिकायत उप सचिव संजय कुमार ने ईओयू को की थी। ईओयू की साइबर यूनिट ने तुरंत कार्रवाई शुरू की, हार्ड डिस्क को जब्त किया और डेटा रूम को सील कर दिया। प्रारंभिक जांच में साइबर अटैक या मालवेयर का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन डाटा डिलीट होने की पुष्टि हुई है।
9 जून 2025 को ईओयू ने कई कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सूत्रों का कहना है कि डाटा डिलीट होने का मामला राजद विधायक रीतलाल यादव के रिश्तेदार प्रतीक की बर्खास्तगी से जुड़ा हो सकता है। ईओयू की जांच में यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि डाटा किसने, क्यों और किस मकसद से हटाया था।
हार्ड डिस्क की फॉरेंसिक जांच सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) में चल रही है, जिससे डिलीट किए गए डाटा की रिकवरी और अपराध के तरीके का खुलासा होने की उम्मीद है। सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस घटना को गंभीर बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। विधान परिषद के सूत्रों के अनुसार डिलीट डाटा में कर्मचारियों के प्रमोशन और गोपनीय नीतिगत फाइलें शामिल हो सकती हैं, हालांकि ईओयू ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।