Bihar Hooch Tragedy: बिहार के सीवान, सारण और गोपालगंज में जहरीली शराब पीने के मामले में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी तक 65 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि दर्जनों लोग अभी बीमार हैं, जिनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। बता दें कि बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी है, बावजूद इसके चोरी-छिपे शराब बनाने वाले धंधेबाज भी सक्रिय रहते हैं। राज्य में शराब की उपलब्धता आम बात है। विपक्ष का दावा है कि शराब नजर नहीं आती लेकिन मिल हर जगह जाती है। जानकारों की मानें तो शराबबंदी ने अवैध शराब का कारोबार बढ़ा दिया है। तस्कर और शराब बनाने वाले लोग मेथनॉल जैसे जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल कर सस्ती शराब बना रहे हैं, जिससे लोगों की जान जा रही है।
शराब बनाने के दौरान कई ऐसी लापरवाही की जाती है जो इस शराब को जहर में बदल देता है। स्थानीय स्तर पर शराब बनाते समय तापमान का भी कोई ख्याल नहीं रखा जाता जो बेहद जरूरी होता है। इसमें इथाइल अल्होकल के साथ-साथ मिथाइल अल्कोहल भी शामिल हो जाता है। शराब के जहरीले होने की मुख्य वजह इसमें मिथाइल अल्कोहल का पाया जाना है।
शराब इथाइल अल्कोहल से बनती है, यह जहरीला नहीं होता। इसको इथेनॉल भी कहते हैं। लेकिन मिथाइल बेहद खतरनाक है। ये इथाइल जैसा ही है लेकिन गुण में बिल्कुल उल्टा है। ये मेथनॉल जहरीला होता है और जब शरीर में जाता है तो कोशिकाओं को मार देता है। ये शरीर में जहां से गुजरेगा, वहां की कोशिका को मारता जाएगा। इससे शरीर भी सुन पड़ जाता है और आंख की रोशनी भी चली जाती है।
मेथनॉल एक औद्योगिक रसायन है, जिसका उपयोग पेंट, प्लास्टिक आदि बनाने में होता है। यह एथेनॉल जैसा दिखता है और सूंघने में भी लगभग वैसा ही होता है। लेकिन यह अत्यंत जहरीला होता है। जब लोग इसे शराब समझकर पीते हैं तो इससे अंधापन, किडनी फेलियर और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
शराबबंदी के कारण सूबे में शराब की धंधेबाजी जोरो पर है। रसायन मामले के जानकार बताते हैं कि कई बार शराब को अधिक नशीला बनाने के चक्कर में इसमें यूरिया और ऑक्सीटोसिन मिला दिया जाता है। जो इंसान की मौत की वजह बन जाती है। शराब को पचाने के लिए अल्कोहल डीहाइड्रोजेनेट नाम रसायन मिलाया जाता है। जब मिथाइल इसके संपर्क में आता है तो फॉर्मल एल्डिहाइड पदार्थ बनाता है और फिर फार्मिक एसिड बनाता है। यह जहरीला फॉर्मिक एसिड जहरीली शराब में इतना अधिक होता है कि लोगों की जिंदगी नहीं बच पाती है।