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बिहार: नीतीश राज में खड़ी हो गई है तस्करों की एक बड़ी फौज, स्मैक, चरस, गांजा का बढ़ रहा है कारोबार

By एस पी सिन्हा | Updated: November 8, 2022 15:32 IST

बिहार में शराबबंदी के बाद अवैध शराब का कारोबार तो बढ़ा ही है। साथ में हेरोईन, स्मैक, चरस, गांजा सहित अन्य मादक पदार्थों का बाजार भी फलने-फूलने लगा है। 

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ठळक मुद्देराज्य में हेरोईन, स्मैक, चरस, गांजा सहित अन्य मादक पदार्थों का बाजार भी फलने-फूलने लगा हैऐसे में कहा जा रहा है कि बिहार अब उड़ता बिहार बनता जा रहा हैराज्य का युवा वर्ग उड़ता बिहार बनाने की ओर अग्रसर है

पटना:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब तस्करों से इतना ज्यादा परेशान हो गये हैं कि उन्होंने पुलिस और मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि अब शराब पीने वालों के बजाय शराब की आपूर्ति करने वालों पर लगाम लगाएं। लेकिन हाल यह हो गया है कि शराबबंदी के बाद से बिहार में तस्करों की एक फौज खड़ी हो गई है। शराबबंदी के बाद अवैध शराब का कारोबार तो बढ़ा ही है। साथ में हेरोईन, स्मैक, चरस, गांजा सहित अन्य मादक पदार्थों का बाजार भी फलने-फूलने लगा है। 

ऐसे में कहा जा रहा है कि बिहार अब उड़ता बिहार बनता जा रहा है। जानकारों की मानें तो पहले गांव में लोग शराब, भांग और गांजा को छोड़कर किसी अन्य मादक पदार्थों के बारे में जानते तक नही थे। लेकिन शराबबंदी के बाद से राज्य के गांव-गांव में युवा वर्ग अब हेरोईन, स्मैक सहित अन्य कई प्रतिबंधित मादक पदार्थों का सेवन करने लगा है। 

सूत्र बताते हैं कि हेरोईन तो अब गांव-गांव मिलने लगा है। कहा जाता है कि माचिस की तिल्ली में जितना बारूद होता है, उतनी ही मात्रा में हेरोईन की कीमत दो सौ से लेकर चार सौ तक है। बताया जाता है कि शराब पीने के बाद युवाओं को पकडे जाने का डर होता है, जबकि हेरोईन पीने से उन्हें पकड़े जाने का डर नही रहता है। ऐसे में हेरोईन युवाओं का पहली पसंद बन गया है। गांजा के ऊपर डालकर युवा इसका सेवन करने लगे हैं। 

अक्टूबर माह में शराबबंदी कानून के तहत 20 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें 350 डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी सेवक और जनप्रतिनिधि शामिल हैं। वहीं, मद्य निषेध के आईजी अमृत राज ने बताया कि सिर्फ इस साल 60 हजार लोगों को शराबबंदी कानून के तहत पकड़ा गया है। 

जानकार बताते हैं कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से शराब के साथ-साथ अन्य मादक पदार्थों की अवैध विक्री कहीं ज्यादा होने लगी है। देशी शराब का धंधा गांवों में ज्यादा फलने-फूलने लगा है। यह भी कहा जा सकता है ग्रामीण इलाकों में यह कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका है। इसके साथ ही हेरोईन, चरस, गांजा, स्मैक आदि की मांग बढने से नशा का सेवन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। युवा वर्ग उड़ता बिहार बनाने की ओर अग्रसर है।

टॅग्स :बिहारDrugs and Health Products Regulatory Agencyनीतीश कुमार
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