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गुजरात के अमरेली जेलः गैर कानूनी तरीके से 'PCOs' चला रहे थे पांच कैदी, कई पर गंभीर आरोप, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Updated: August 25, 2020 21:52 IST

पुलिस को एक और अवैध प्रकरण का पता चला जिसमें राजकोट का डॉक्टर कैदियों को जमानत हासिल करने में मदद पहुंचाने के लिए कथित तौर पर फर्जी चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करता था।

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ठळक मुद्देहत्या, फिरौती जैसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार किए गए थे, इसके अलावा अमरेली पुलिस ने डॉक्टर धीरेन घीवाला को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पांचों कैदियों की पहचान नरेश वाला, शिवराज विनछिया, बालसिंह बोरिछा, नरेंद्र खुमान और गौतम खुफान के रूप में की है।मामला सात जुलाई को तब प्रकाश में आया जब अहमदाबाद से आए निरीक्षण दल को जिला जेल के बाहर लावारिस हालत में दो सिम वाला मोबाइल फोन मिला।

अमरेलीः गुजरात पुलिस ने मंगलवार को राज्य की अमरेली जेल में पैसा कमाने के लिए गैर कानूनी तरीके से ‘पीसीओ’ (फोन) बूथ चलाने के आरोप में वहां के पांच कैदियों को गिरफ्तार किया है।

अधिकारियों ने बताया कि यह गिरफ्तारी विस्तृत जांच के बाद हुई। इस दौरान पुलिस को एक और अवैध प्रकरण का पता चला जिसमें राजकोट का डॉक्टर कैदियों को जमानत हासिल करने में मदद पहुंचाने के लिए कथित तौर पर फर्जी चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करता था।

उन्होंने बताया कि पांचों कैदी विचाराधीन हैं और हत्या, फिरौती जैसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार किए गए थे, इसके अलावा अमरेली पुलिस ने डॉक्टर धीरेन घीवाला को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पांचों कैदियों की पहचान नरेश वाला, शिवराज विनछिया, बालसिंह बोरिछा, नरेंद्र खुमान और गौतम खुफान के रूप में की है। अमरेली पुलिस ने विज्ञप्ति में बताया कि यह मामला सात जुलाई को तब प्रकाश में आया जब अहमदाबाद से आए निरीक्षण दल को जिला जेल के बाहर लावारिस हालत में दो सिम वाला मोबाइल फोन मिला।

विज्ञप्ति के मुताबिक फोन मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और गिरोह का भंडाफोड़ किया जिसने जेल के वीआईपी (अतिविशिष्ट व्यक्ति) बैरक पीसीओ (पब्लिक कॉल ऑफिस) में तब्दील कर दिया था। पुलिस ने बताया कि आरोपी जेल में फोन और सिम का प्रबंध किसी तरह करने में सक्षम हुए और उन्होंने अन्य कैदियों को बात कराने के एवज में पैसा वसूलना शुरू कर दिया।

पुलिस ने बताया कि जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ कैदी वीआईपी बैरक में बने पीसीओ के जरिये सूरत जिला जेल में बंद कैदियों से भी बात करते थे। विज्ञप्ति के मुताबिक जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने 17 मोबाइल और 40 आईएमईआई (अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान) का इस्तेमाल किया।

पुलिस ने बताया कि करीब आधे दर्जन और कैदी एवं बाहरी लोग इस गिरोह में शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तार किया जाना बाकी है। पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान डॉ. घीवाला द्वारा फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने का मामला प्रकाश में आया।

उन्होंने बताया कि डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन बिचौलिये का काम कर रहे कैदी कांती वाला को पकड़ा जाना बाकी है। विज्ञप्ति के मुताबिक हाल में वह पैरोल पर रिहा हुआ था और तब से लापता है।

टॅग्स :गुजरातविजय रुपानीमर्डर मिस्ट्री
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