लखनऊः उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विधानसभा क्षेत्र गोरखपुर शहर सहित पूर्वांचल के 28 जिलों के गांव बुनियादी सुविधाओं में सबसे पिछड़े हैं. जबकि मोदी सरकार में मंत्री राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी के पश्चिम यूपी के 30 जिलों के गांव में बुनियादी सुविधाओं के मामले में अव्वल पाए गए हैं. यहीं नहीं इस मामले में मध्य यूपी के 10 जिलों के गांव दूसरे स्थान पर और बुंदेलखंड के सात जिलों के गांव तीसरा स्थान पाए हैं. गांवों में बुनियादी सुविधाओं में पेयजल, अस्पताल, पक्की सड़कें, जनसेवा केंद्र, विद्यालय, पशु चिकित्सालय, कृषि ऋण सहकारी समितियां, शीत भंडार, बीज केंद्र, उर्वरक केंद्र, राशन की दुकान, कृषि मंडी, सरकारी क्रय केंद्र, बस स्टॉप, डाकघर, सार्वजनिक पीसीओ आदि शामिल हैं. नियोजन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी यूपी यानी पूर्वांचल के 28 जिलों के गांव बुनियादी सुविधाओं में सबसे पिछड़े हैं. इन जिलों के गांवों में अभी तक बेहतर पक्की सड़कें, अस्पताल, विद्यालय, राशन की दुकान आदि का आभाव है.
यूपी के क्षेत्र और जिले
पूर्वांचल में 28 जिलेबुंदेलखंड में 07 जिलेमध्य यूपी में 10 जिलेपश्चिम यूपी में 30 जिले
नियोजन विभाग के रिपोर्ट से हुआ खुलासा
नियोजन विभाग की इस ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है. नियोजन विभाग के अफसरों के अनुसार, प्रदेश में 1,06,774 आबाद गांव हैं. इन सभी गांवों में सरकार ने 39 मूलभूत सुविधाओं का आकलन किया गया. इसमें देखा गया कि कौन सी सुविधा गांव से एक किमी के दायरे में है. एक से तीन किमी के दायरे में कितनी सुविधाएं हैं और तीन से पांच के बीच व पांच या उससे अधिक दूरी पर कौन सी सुविधाएं हैं.
राज्य के सभी गांवों में उपलब्ध सुविधाओं को आधार मानते हुए संभागवार रैंक का निर्धारण 39 सुविधाओं के आधार पर किया गया. गांव में बेहतर बुनियादी सुविधा होने पर गांव को अंक देने का फार्मूला तय किया गया. इसके तहत जिन गांवों में 39 मूलभूत सुविधाएं बेहतर पायी गई उन्हें श्रेणी ‘ए’ में मानते हुए एक अंक दिया गया.
इसी तरह 100 प्रतिशत से कम तथा 80 प्रतिशत या उससे अधिक को श्रेणी ‘बी’ में मानते हुए 2 अंक दिए गए हैं. 60 प्रतिशत से कम सुविधाएं हैं तो उसे डी श्रेणी में शून्य अंक दिया गया. इस आधार पर नियोजन विभाग के पूर्वांचल के 28 जिलों जिसमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, गाज़ीपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ. महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलिया, सोनभद्र शामिल हैं के गांवों को बुनियादी सुविधाओं को बेहतर नहीं पाया.
जबकि पश्चिम यूपी के 30 जिलों गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर, हापुड़. मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, बागपत, अमरोहा, बिजनौर, मुरादबाद, रामपुर, सहारनपुर, अलीगढ़, एटा, इटावा, मैनपुरी, आगरा, मथुरा, बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर आदि में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर पाया गया. खेती किसानी में अव्वल माने जाने वाला पश्चिम यूपी सूबे के सबसे सम्पन्न इलाका है, इस नाते इस क्षेत्र के गांवों के बुनियादी सुविधाएं बेहतर हैं. पश्चिम यूपी रालोद मुखिया जयंत चौधरी के राजनीतिक प्रभाव वाला क्षेत्र हैं.
इस इलाके के विकास में उनके दादा चौधरी चरण सिंह और जयंत के पिता चौधरी अजित सिंह ने विशेष ध्यान दिया था, इस नाते भी यहां के गांवों में बुनियादी सुविधाओं का ढांचा बेहतर है. फिलहाल नियोजन विभाग के रिपोर्ट के आधार पर अब सरकार पूर्वी यूपी के गांवों के बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने में जुटेंगी. सीएम योगी ने इसके लिए निर्देश दिए हैं.
गांवों में इन बुनियादी सुविधाओं का हुआ आकलन
यूपी के गांवों में कृषि मंडी, सरकारी क्रय केंद्र, ग्राम की पक्की सड़कें, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, डाकघर, सार्वजनिक टेलीफोन, सहकारी कृषि एवं ग्राम्य विकास बैंक, बैंक, बैंक, पोस्ट ऑफिस बचत बैंक, ग्राम सचिवालय, पशु चिकित्सालय, लेटर बाक्स, सहकारी दुग्ध संग्रह केंद्र, उच्च प्राथमिक विद्यालय, कम्पोजिट विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय बालक, माध्यमिक विद्यालय बालिका, पशु चिकित्सालय, पुश सेवा केंद्र, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र, प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियां, एलोपैथिक चिकित्सालय (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) आयुर्वेदिक चिकित्सालय, यूनानी चिकित्सालय, होम्योपैथिक चिकित्सालय, परिवार मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र उपकेंद्र, प्राथमिक विद्यालय (कक्षा एक से छह) आदि है या नहीं और हैं तो उनकी दशा क्या है? इसका आकलन किया गया. पूर्वांचल के जिलों में यह बुनियादी सुविधाएं बेहतर नहीं पायी गई. इस आधार पर पूर्वी यूपी के गांवों को फिसड्डी माना गया.