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विकसित यूपी सपना और रोडवेज डिपो में खड़ी 259 एसी बसें?, 741 का बेड़ा, सड़क पर 482

By राजेंद्र कुमार | Updated: October 6, 2025 17:53 IST

रोडवेज प्रशासन की एक रिपोर्ट यह खुलासा किया गया है कि सूबे में निगम की 741 एसी बसों में से सिर्फ 482 एसी बसें ही यात्रियों को एक जिले से दूसरे जिले में ले जा रही है.

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ठळक मुद्देपरिवहन निगम की खस्ताहाल हो रही हजारों बसों की यह सुध तक नहीं ले रहे हैं. दयाशंकर सिंह के अनुसार, यूपी रोडवेज के बेड़े में करीब 12,500 बसें हैं.बसों को अब इलेक्ट्रिक बस में तब्दील करने की तैयारी है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वर्ष 2047 में विकसित उत्तर प्रदेश कैसा होगा? इसका नीति आयोग के विशेषज्ञों की मदद से एक रोडमैप तैयार करवा रही हैं. सूबे की जनता से भी इसके लिए सुझाव मांगे जा रहे हैं. विकसित यूपी का रोडमैप तैयार करने में जुटे तमाम अधिकारी इस वक्त बड़े बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन राज्य परिवहन निगम की खस्ताहाल हो रही हजारों बसों की यह सुध तक नहीं ले रहे हैं. जबकि रोडवेज प्रशासन की एक रिपोर्ट यह खुलासा किया गया है कि सूबे में निगम की 741 एसी बसों में से सिर्फ 482 एसी बसें ही यात्रियों को एक जिले से दूसरे जिले में ले जा रही है.

बाकी 259 लग्जरी एसी बसें खराब हालत रोडवेज के डिपो में खड़ी हैं. जिसके चलते हर दिन करीब 50 हजार लोगों को डग्गामार प्राइवेट बसों पर निर्भर होना पड़ रहा हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, खराब एसी बसों के मामले में अयोध्या परिक्षेत्र की स्थिति सबसे गंभीर है, जबकि लखनऊ दसवें नंबर पर है.

राज्य के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह का कहना है कि निगम पुरानी और जर्जर हो चुकी डीजल 500 बसों को इलेक्ट्रिक बसों बदलने की तैयारी कर रहा है. इसके साथ ही ड्राइवरों की भर्ती के भी प्रयास किए जा रहे हैं. और अगले कुछ वर्षों में रोडवेज के बेड़े में 5000 नई बसें शामिल की जाएगी. फिलहाल 20 डबल डेकर समेत 120 इलेक्ट्रिक एसी बसें खरीदी जा चुकी हैं.

परिवहन मंत्री का दावा

दयाशंकर सिंह के अनुसार, यूपी रोडवेज के बेड़े में करीब 12,500 बसें हैं. इनमें 9,500 बसें रोडवेज की अपनी हैं जबकि 3000 बसें अनुबंधित हैं. निगम की जो 259 लग्जरी एसी बसें रोडवेज के डिपो में खड़ी हैं, वह सब सड़क पर चलने लायक नहीं बची हैं. यह बसे पुरानी और करीब आठ लाख किमी चल चुकी हैं. इन बसों को अब इलेक्ट्रिक बस में तब्दील करने की तैयारी है.

परिवहन निगम के अफसरों के मुताबिक रोडवेज में लखनऊ परिक्षेत्र समेत कुल 19 परिक्षेत्र हैं. इनमें 741 एसी बसों का बेड़ा है. वर्तमान में निगम की 741 बसों में से सिर्फ 482 एसी बसें ही यात्रियों के लिए उपलब्ध हैं. जबकि 259 बसें निगम के डिपो में खड़ी हुई हैं. इस प्रकार परिवहन निगम की कुल 34.95 फीसदी एसी बसें ऑफरूट हैं.

निगम की जो एसी बसें खराब हैं, इसमें सबसे अधिक बसें अयोध्या परिक्षेत्र की हैं. इस परिक्षेत्र में कुल एसी बसों की संख्या 13 है, जिसमें चार बसें ही चल सकी जबकि नौ खराब खड़ी हैं. इसी प्रकार सहारनपुर में 48 एसी बसों में से 25 बसें ही चल रही हैं. गाजियाबाद में 78 एसी बसों में 42 ही चलाई जा रही हैं.

मेरठ में 19 एसी बसों में 11, वाराणसी में 36 एसी बसों में 21 तथा गोरखपुर में 61 एसी में 36 बसें ही चलाई जा रही हैं. लखनऊ की एसी 141 बसों में 97 एसी बसें चलाई जा रही हैं और 44 एसी बसें डिपो में खड़ी हैं. राज्य में एसी बसों के संचालन में सबसे अच्छा प्रदर्शन इटावा परिक्षेत्र का रहा हैं. इसके बास झांसी परिक्षेत्र की आठ एसी बसों में सात चलती हुई मिली, एक एसी बस खराब हो गई है, जिसे बदला जाएगा.

चित्रकूट और आजमगढ़ में 12-12 एसी बसें हैं, जिसमें दस-दस चलती मिलीं हैं. एसी बसों के खराब होकर डिपो में पहुंच जाने के बाबत अधिकारियों का कहना है कि लग्जरी एसी बसों के खस्ताहाल होने का मुख्य कारण उनका पुराना हो जाना ही है. जबकि कुछ बसे खराब मेंटेनेंस में बरती गई लापरवाही के कारण खराब हो गई.

अफसरों के मुताबिक कई परिक्षेत्रों में बसों की मरम्मत निजी एजेंसियों को दी गई है, जहां मेंटीनेंस में लापरवाही बरती और बसे कबाड़ हो गई. फिलहाल बड़ी संख्या में एसी बसों के खराब होने के कारण लखनऊ से दिल्ली, आगरा, जयपुर, मेरठ, अलीगढ़ मथुरा, अयोध्या, गोरखपुर, महाराजगंज, वाराणसी, बलिया, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही आदि कई शहरों में जाने वालो को मजबूरी में प्राइवेट सेक्टर की डग्गामार बसों में यात्रा करनी पड़ रही हैं.

एक आकलन के अनुसार, प्रतिदिन लखनऊ सहित प्रदेश भर में करीब 50 हजार यात्री डग्गामार प्राइवेट बसों के सहारे सफर कर रहे हैं. परिवहन मंत्री का कहना है कि जल्दी ही नई बसों को खरीदकर लोगों की दिक्कतों को कम किया जाएगा.  

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