नई दिल्ली: अमेरिका-बेस्ड कर्जदाताओं ने संकटग्रस्त शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बायजूस को लेकर राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से कहा कि इन्हें शेयरों के गिरवी रखने, ट्रांसफर या उसे बेचने से रोका जाना चाहिए। अमेरिका स्थित गैर-बैंकिंग ऋण एजेंसी ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की ओर से दिवालिया याचिका दायर करने वाले ऋणदाताओं ने 29 मई को ट्रिब्यूनल को बताया कि बायजू अधिक पैसा उधार ले रहा था और बदले में वो अपने शेयरों की हेरफेर कर रहा।
कर्जदाताओं ने आरोप लगाया कि यहां तक उन्होंने फरवरी में याचिका दायर की, प्रमोटर रवींद्रन बायजू ने कुछ शेयरों के एक्सचेंज से 350 करोड़ रुपए प्राप्त किए थे। अगर बायजूस ने शेयर के बदले पैसे उधार लेना जारी रखा, तो उनके पास मुकदमा चलाने और पैसे वसूलने के लिए कुछ नहीं बचेगा।
अब एनसीएलटी की बेंगलुरु बेंच में करीब दिवालिया होने की 10 याचिका लंबित है, कऋणदाताओं ने कहा कि ये मामले कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में बताते हैं। कर्जदाताओं ने एनसीएलटी से कहा किसी भी हालत में तुरंत हितों की रक्षा करने के लिए स्टे का ऑर्डर दें। बायजूस ने इसके उलट एनसीएलटी से समय मांगा है।
बायजूस ने दावा किया कि कर्जदाताओं के दावों को नकारा और अपर्याप्त बताया, जो भी उन्होंने केंद्रीय एजेंसी के सामने कंपनी को मौका दिए बिना आरोप लगाएं। इस केस में हेयरिंग 10 जून को होगी। ग्लास ट्रस्ट 100 से अधिक कर्जदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने बायजू की अमेरिकी इकाई, बायजू अल्फा इंक को पैसा उधार दिया था, जो डेलावेयर कोर्ट में स्वैच्छिक दिवालियापन प्रक्रिया से गुजर रही है।
ग्लास ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होल्ला के अनुसार, थिंक एंड लर्न, जो भारत में बायजू का संचालन करता है, 1.2 बिलियन डॉलर (8,000 करोड़ रुपये) के ऋण की गारंटी देता है।