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Temporary Workforce Industry: अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा, अस्थायी कार्यबल उद्योग में खुशखबरी, जानें क्या है फ्लेक्सी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 15, 2024 5:33 PM

Temporary Workforce Industry: उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष निकाय आईएसएफ ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में उद्योग सालाना आधार पर 3.6 प्रतिशत बढ़ा।

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ठळक मुद्देलोहित भाटिया ने कहा कि अस्थायी कार्यबल उद्योग का प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है।अस्थायी कार्यबल दिसंबर, 2023 तक बढ़कर 16.2 लाख तक पहुंच गया। भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।

Temporary Workforce Industry: अस्थायी कार्यबल उद्योग (फ्लेक्सी) बीते वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा। भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। अस्थायी कार्यबल या स्टाफिंग उद्योग के तहत अनुबंध या काम के हिसाब से निश्चित अवधि के लिये लोगों को भर्ती किया जाता है। इस उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष निकाय आईएसएफ ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में उद्योग सालाना आधार पर 3.6 प्रतिशत बढ़ा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान ई-कॉमर्स, खुदरा, एफएमसीजी, लॉजिस्टिक, विनिर्माण, आतिथ्य, पर्यटन, विमानन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में रोजगार खासतौर से बढ़ा। आईएसएफ के सदस्यों द्वारा नियुक्त कुल औपचारिक अस्थायी कार्यबल दिसंबर, 2023 तक बढ़कर 16.2 लाख तक पहुंच गया। आईएसएफ के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा कि अस्थायी कार्यबल उद्योग का प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है।

थोक मुद्रास्फीति मार्च में मामूली बढ़त के साथ 0.53 प्रतिशत पर

देश में सब्जियों, आलू, प्याज और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थोक मुद्रास्फीति मार्च में मामूली रूप से बढ़कर 0.53 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 0.20 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी। नवंबर में यह 0.26 प्रतिशत थी। मार्च, 2023 में यह 1.41 प्रतिशत के स्तर पर थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘ अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मार्च 2024 में 0.53 प्रतिशत (अस्थायी) रही। ’’ आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति मामूली रूप से बढ़कर 6.88 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 5.42 प्रतिशत थी।

सब्जियों की महंगाई दर 19.52 प्रतिशत रही, मार्च, 2023 में शून्य से नीचे 2.39 प्रतिशत थी। आलू की मुद्रास्फीति मार्च, 2023 में 25.59 प्रतिशत थी जो मार्च, 2024 में 52.96 प्रतिशत हो गई। प्याज की मुद्रास्फीति 56.99 प्रतिशत रही जो मार्च, 2023 में शून्य से नीचे 36.83 प्रतिशत थी। मार्च, 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति भी बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘ खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से अनाज की मुद्रास्फीति से बढ़ी जो 12 महीने के उच्चतम स्तर नौ प्रतिशत पर रही। आम उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण दालें और सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च, 2024 में क्रमशः 17.2 प्रतिशत और 19.5 प्रतिशत रही।

हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति मार्च में शूल्य से नीचे 1.1 प्रतिशत रही। आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से इस साल मार्च में कच्चे पेट्रोलियम खंड में मुद्रास्फीति 10.26 प्रतिशत बढ़ गई। मार्च, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, मशीनरी और उपकरण और अन्य विनिर्माण उत्पादों की महंगाई बढ़ने से मुद्रास्फीति की दर शून्य से ऊपर रही।

विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में भी 0.85 प्रतिशत की गिरावट आई। इस बीच, मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के कारण इस साल मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई। खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 5.66 प्रतिशत हो गई।

यह फरवरी में 5.09 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मार्च में 8.52 प्रतिशत रही जो फरवरी में 8.66 प्रतिशत थी। केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के आने वाले महीनों में बढ़ने का अनुमान है। सिन्हा ने कहा कि वैश्विक जिंस कीमतों में हालिया वृद्धि, विशेष रूप से ब्रेंट कच्चे तेल की ऊंची कीमतों तथा औद्योगिक धातु की कीमतों में वृद्धि से डब्ल्यूपीआई पर दबाव बढ़ने की आशंका है।

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