बड़ी कंपनियों को छोड़कर, अधिकांश आभूषण विक्रेताओं की दुकानें सोमवार को नए स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के सरकार के नियमों के विरोध में बंद रहीं। हड़ताल आभूषण विक्रेताओं के 350 के करीब संघों के आह्वान पर हुई। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने यह कहा। आभूषण विक्रेता संगठन सरकार की हॉलमार्किंग विशिष्ट पहचान संख्या (एचयूआईडी) प्रणाली के खिलाफ हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि इसका सोने की शुद्धता से कोई लेना-देना नहीं है, यह सिर्फ एक ट्रैकिंग तंत्र है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के निदेशक दिनेश जैन ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘‘एचयूआईडी प्रणाली के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। दुकानें एक दिन के लिए बंद हैं।’’ हालांकि, तमिलनाडु और केरल में ओणम त्योहार के कारण दोपहर 12.30 बजे तक दुकानें बंद रहीं। जैन ने कहा कि प्रदर्शनकारी ज्वैलर्स गोल्ड हॉलमार्किंग नियमों के खिलाफ जिला कलेक्टरों को ज्ञापन देंगे। स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग, कीमती धातु का शुद्धता प्रमाणन है। यह नियम 16 जून से चरणबद्ध तरीके से लागू हो गया है। सरकार ने पहले चरण के कार्यान्वयन के लिए 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 256 जिलों की पहचान की है। पिछले हफ्ते, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने जौहरियों के संगठनों से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया था, जिसमें कहा गया था कि सोने की हॉलमार्किंग का कार्यान्वयन अब तक ‘बेहद सफल’ रहा है। बीआईएस देश में गोल्ड हॉलमार्किंग सिस्टम लागू कर रहा है। विरोध करने वाले जौहरियों के निकायों के अनुसार, सोने की हॉलमार्किंग की पहले की प्रक्रिया नई एचयूआईडी प्रणाली से बेहतर थी। नयी प्रणाली 'व्यापार करने में आसानी' के सिद्धांत के खिलाफ है। ज्वैलर्स के निकायों को डर है कि सरकार नए एचयूआईडी सिस्टम के नाम पर अपलोड किए जा रहे डेटा का इस्तेमाल ज्वैलर्स पर कार्रवाई करने के लिए कर सकती है। जैन ने कहा, ‘‘एचयूआईडी प्रणाली को लागू करने में एक व्यावहारिक समस्या है। मान लीजिए कि एक थोक व्यापारी के पास 50 किलो के सोने के हालमार्किग वाले आभूषण है। एक खुदरा विक्रेता उसके पास आता है और एक किलो आभूषण खरीदता है। स्टॉक देने में कुछ ही मिनट लगते हैं लेकिन हर आभूषण का एचयूआईडी के साथ बिल तैयार करने में घंटों लगते हैं।
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