अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आने वाले दिनों में मोदी सरकार को आरबीआई द्वारा गठित जलान समिति से राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. देश में लोगों की खपत क्षमता में अप्रत्याशित कमी आई है, ऐसे में सरकार को आरबीआई द्वारा एक बड़ी रकम मिलने से बजट में मध्यम वर्ग के लोगों को कई छूट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
बीते वर्ष ही ऐसी ख़बरें आई थी कि सरकार आरबीआई के कैश रिज़र्व से एक बड़ा रकम हासिल करना चाहती है. लोकसभा चुनाव की आहटों से पहले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन ख़बरों को खारिज कर दिया था. लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में नए आंकड़ों में जिस तरह खपत क्षमता में कमी आई है उसने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है.
सरकार ने बीते साल दिसंबर में ही इसे लेकर जलान समिति का गठन किया था जो आरबीआई के सरप्लस रिज़र्व को लेकर रिपोर्ट आरबीआई और सरकार को अप्रैल में ही सौंपने वाली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरबीआई सरकार को अपने कैश रिज़र्व से एक हिस्सा दे सकती है.
विमल जलान आरबीआई के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं. हाल ही में रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की थी और इसके बाद मीडिया को संबोधित करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जलान समिति की रिपोर्ट जल्द जारी की जाएगी. ज्यादा पूछने पर उन्होंने कहा था कि समिति के कार्यों में आरबीआई की कोई दखलंदाजी नहीं है.
आरबीआई के पास फिलहाल 9 लाख 59 हजार करोड़ का रिज़र्व है. जो ग्लोबल मानकों से ज्यादा है.
दुनिया में सभी केंद्रीय बैंकों के पास कुल रिज़र्व का 14 फीसदी हिस्सा ही होता है लेकिन आरबीआई के पास 28 फीसदी है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में रिपोर्ट ऑनटेबल किया जा सकता है.