मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को लगातार तीसरी बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया गया.
उन्होंने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है. आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि देश की वृहद आर्थिक स्थिति मजबूत है, दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन है. भारतीय अर्थव्यवस्था ने महंगाई के नियंत्रण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की, हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है.
उन्होंने ये भी कहा कि मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति पर निगाह रखेगी. मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है. अपनी बात को जारी रखते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है और मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष मुद्रास्फीति, भूराजनीतिक अनिश्चितता और प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की चुनौतियां है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा के उपभोग के सामान की बिक्री बढ़ी, जो ग्रामीण मांग में सुधार का संकेत, खरीफ की कटाई के साथ यह और सुधरेगी. दास ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का प्रवाह इस साल बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये हुआ. पिछले साल यह 5.7 लाख करोड़ रुपये था.
दास ने ये भी कहा कि आगामी त्योहारों के दौरान निजी उपभोग तथा निवेश गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि टमाटर की कीमतों में उछाल और अनाज, दालों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति पर असर पड़ा है, जबकि सब्जियों की कीमतों में हो सकता है बड़ा सुधार.