भारत के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार ही हुआ है कि जब केन्द्र सरकार और आरबीआई के मतभेद के बीच किसी आरबीआई गर्वनर ने इस्तीफा दिया हो। हालांकि ऐसी स्थिति कई दशक पहले भी भारत में देखी गई थी। आरबीआई के पहले गवर्नर, सर ओसबोर्न स्मिथ, जिन्होंने 1 अप्रैल, 1935 को पदभार संभाला था, जिन्होंने 30 जून, 1937 को सरकार के सदस्य, वित्त के साथ मतभेदों के बाद साढ़े सालों की अवधि पूरी करने से पहले कार्यालय छोड़ दिया था।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से के अचानक इस्तीफे ने केंद्रीय बैंक बिना लीडर के कर दिया है। अब सरकार को नया आरबीआई चीफ नियुक्त करने में थोड़ा वक्त लगेगा। गौरतलब है कि जब तक कोई नए गवर्नर की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक अंतरिम प्रमुख तो किसी को बनाना ही पड़ेगा। तो आइए जानते हैं कि आरबीआई ऐक्ट में ऐसे वक्त के लिए क्या प्रावधान है...
- आरबीआई अधिनियम की धारा 7 (2) के मुताबिक, "बैंक के मामलों और व्यापार की सामान्य अधीक्षण और दिशा को केंद्रीय निदेशक मंडल को सौंपा जाएगा जो सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और सभी कार्य और फैसलों को ले सकता है।''
- धारा 7 (3) के मुताबिक, "केन्द्रीय बोर्ड, राज्यपाल द्वारा बनाए गए नियमों में अन्यथा प्रदान की गई और उनकी अनुपस्थिति में, उनके द्वारा नामित उप गवर्नर को भी सामान्य अधीक्षण और मामलों की दिशा में शक्तियां दी जाएंगी और बैंक का व्यवसाय, और सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और सभी कृत्यों और चीजों को कर सकता है जिनका उपयोग बैंक द्वारा किया जा सकता है या किया जा सकता है। "
- आरबीआई ऐक्ट में ऐसे मौके के लिए कहा गया है, 'यदि गवर्नर या डेप्युटी गवर्नर किसी कारणवश अपने कार्यकाल को नहीं पूरा कर पाते हैं तो ऐसे मौके में केंद्र सरकार सेंट्रल बोर्ड की सिफारिश पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। इस वक्त जर्व बैंक में चार डेप्युटी गवर्नर है। एनएस विश्वनाथन, विरल आचार्य, बीपी कानूनगो, एमके जैन और 12 एग्जिक्युटिव डायरेक्टर्स हैं।
खबरों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठतम डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन को अंतरिम रूप से केंद्रीय बैंक का प्रमुख बनाया जा सकता है। सूत्रों ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी है।
सूत्रों ने कहा कि यदि विश्वनाथन को अंतरिम प्रमुख बनाया जाता है तो वह शुक्रवार को होने वाली केंद्रीय बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विश्वनाथन को चार जुलाई, 2016 को तीन साल के लिए रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था।
‘‘व्यक्तिगत कारणों’’ से उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की चार दिन बाद होने वाली अहम बैठक से पहले आया है। इस बैठक में सरकार के साथ उभरते मतभेद वाले मुद्दों पर विचार विमर्श होने की उम्मीद थी। पटेल, 1990 के बाद इस्तीफा देने वाले पहले गवर्नर हैं। अपने संक्षिप्त वक्तव्य में उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘‘व्यक्तिगत कारणों’’ से इस्तीफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके इस्तीफे के बाद कहा है कि पटेल की कमी बहुत खलेगी।
पटेल ने अपने बयान में कहा है, ‘‘व्यक्तिगत कारणों से मैंने तुरंत प्रभाव से अपने पद से हटने का फैसला किया है।’’ उन्होंने आगे कहा है, ‘‘यह मेरा सौभाग्य रहा है कि पिछले कई साल तक मुझे रिजर्व बैंक में विभिन्न पदों पर रहते हुये काम करने का गौरव प्राप्त हुआ ।’’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)