नई दिल्लीः प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गए खातों की संख्या 11 वर्ष में बढ़कर 56.16 करोड़ हो गई है। इन खातों में 2.68 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए। वित्त मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पीएमजेडीवाई के तहत खातों की संख्या मार्च 2015 के 14.72 करोड़ से बढ़कर 13 अगस्त 2025 तक 56.16 करोड़ हो गई है। पीएमजेडीवाई खाताधारकों में 56 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। वहीं 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में सीधे 45 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। भारत की 94 प्रतिशत वयस्क आबादी का अब बैंक खाता है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को की गई थी।
इस योजना के तहत खोले गए खातों में शून्य राशि (बैलेंस) सुविधा, मुफ्त रुपे कार्ड, दुर्घटना बीमा और ‘ओवरड्राफ्ट’ सुविधा मिलती है। योजना ने लोगों को संगठित वित्तीय प्रणाली में शामिल होने और देश की अर्थव्यवस्था को बदलने में मदद की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ‘‘ पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा राशि मार्च 2015 के 15,670 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,67,755 करोड़ रुपये तक हो गई।’’
पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कुल 38.68 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं। इससे उन्हें नकदी रहित लेनदेन की सुविधा मिली है और अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर तक पहुंच प्राप्त हुई है। सरकारी बयान के अनुसार, ‘‘ 56 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं जिनमें करीब 30 करोड़ महिला लाभार्थी शामिल हैं। साथ ही बड़ी राशि जमा की गई और रुपे डेबिट कार्ड का व्यापक वितरण भी किया गया है। इस योजना का विस्तार दूरदराज के क्षेत्रों में भी किया गया जिससे लाखों लोगों खासकर वंचित पृष्ठभूमि से नाता रखने वालों को लाभ हुआ है।’’
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के 11 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस योजना ने लोगों को अपना भाग्य खुद लिखने की शक्ति दी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब अंतिम पर खड़ा व्यक्ति वित्तीय रूप से जुड़ जाता है तो पूरा देश एक साथ आगे बढ़ता है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री जन-धन योजना आज ही के दिन शुरू की गई थी।
यह एक राष्ट्रीय मिशन है जिसमें देश के सभी परिवारों के व्यापक वित्तीय समावेशन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण शामिल है। इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिए कम से कम एक बुनियादी बैंकिंग खाता, वित्तीय साक्षरता, ऋण, बीमा और पेंशन सुविधा तक पहुंच के साथ बैंकिंग सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच की परिकल्पना की गई है।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब अंतिम व्यक्ति वित्तीय रूप से जुड़ा होता है, तो पूरा देश एक साथ आगे बढ़ता है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना से यही हासिल हुआ। इसने सम्मान बढ़ाया और लोगों को अपना भाग्य खुद लिखने की शक्ति दी।’’ प्रधानमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में ‘माइगोव’ द्वारा किया गया एक पोस्ट साझा किया।
जिसमें बताया गया कि कैसे प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने पूरे भारत में जीवन बदल दिया। इस पोस्ट में कहा गया, ‘‘गणित के सूत्र नहीं, बल्कि भारत के विकास के सूत्र। भारत की वित्तीय क्रांति एक विचार से प्रेरित है: नवाचार के माध्यम से समावेशन। अंतिम छोर तक बैंकिंग से लेकर महिला-नेतृत्व वाले सशक्तीकरण तक, पारदर्शी डीबीटी हस्तांतरण से लेकर शासन में विश्वास तक, प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने भारत में बैंकिंग, बचत और विकास के तरीके को बदल दिया है।’’
‘माइगोव’ के एक अन्य पोस्ट में कहा गया, ‘‘11 साल पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत से वादा किया था कि कोई भी गरीब परिवार बैंकिंग की दुनिया से बाहर नहीं रहेगा। जन-धन कभी भी केवल खातों के बारे में नहीं था, यह एक माँ के लिए सम्मान के साथ बचत करने, एक किसान को बिचौलियों के बिना सहायता प्राप्त करने और एक ग्रामीण को राष्ट्र के विकास का हिस्सा महसूस करने के लिए दरवाजे खोलने के बारे में था।’’ इसमें कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ने वित्तीय समावेशन को वास्तविकता में बदल दिया, जिससे हर घर में आशा और हर जीवन में आत्मविश्वास आया।’’