Parliament Budget Session: सरकार इस बार के आगामी बजट सत्र के दौरान बीमा कानून, 1938 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक संसद में पेश सकती है। यह बदलाव इस लिए किए जाएंगे कि आगामी 2047 तक इंश्योरेंस सबके लिए संभव हो सके और जिसका लाभ हर वर्ग के लोगों को मिल सके। यह बात पीटीआई के अनुसार सामने आई है।
सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि संशोधन विधेयक में प्रस्तावित कुछ प्रावधानों में समग्र लाइसेंस, विभेदक पूंजी, सॉल्वेंसी मानदंडों में कमी, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, मध्यस्थों के लिए एक बार पंजीकरण और बीमाकर्ताओं को अन्य वित्तीय उत्पादों को वितरित करने की अनुमति देना शामिल है।
ड्राफ्ट बिल पर इनकी सहमति फिर..सूत्रों की मानें तो बिल का ड्राफ्ट लगभग तैयार है और इसे केंद्रीय मंत्रिपरिषद की अनुमति के लिए भेजा जाएगा। जब एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब वित्त मंत्री इसे बजट सत्र में पेश करेंगी और जिसके जरिए इंश्योरेंस सबके लिए देना का वादा करेंगी।
अगर यह संशोधन हो जाता है, तो क्या बदलाव होंगेयह कदम बैंकिंग क्षेत्र के कामकाज के अगल-अलग बीमा कंपनियों के प्रवेश को सक्षम करेगा, जिसका फायदा सीधे यूनिवर्सल बैंक, लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक के लिए होगा। इसके अलावा, समग्र लाइसेंस का प्रावधान जीवन बीमाकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा या सामान्य बीमा पॉलिसियों को देने की अनुमति देगा। वर्तमान में बीमा नियामक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) बीमा कंपनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग की अनुमति नहीं देता है, जिसका अर्थ है कि एक बीमा कंपनी एक इकाई के रूप में जीवन और गैर-जीवन दोनों उत्पादों की पेशकश नहीं कर सकती है।
बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के अनुसार, जीवन बीमाकर्ता केवल जीवन बीमा कवर की पेशकश कर सकते हैं, जबकि सामान्य बीमाकर्ता स्वास्थ्य, मोटर, अग्नि, समुद्री आदि जैसे गैर-बीमा उत्पादों की पेशकश कर सकते हैं। भारत में अभी 25 जीवन बीमा कंपनियां और 32 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां कार्यरत्त हैं।