नई दिल्ली: साल 2023 को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस साल दुनिया की एक तिहाई अर्थव्यवस्था मंदी में रहेगी। क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने इसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी युद्ध, तेजी से बढ़ती महंगाई, ऊंची ब्याज दरें और चीन में कोरोना के प्रसार को प्रमुख रूप से जिम्मेदार बताया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख ने ये भी कहा है कि जो देश मंदी की चपेट में नहीं रहेंगे वहां भी लाखों-करोड़ों लोगों के लिए रोजी रोटी की चुनौती से जूझना मुश्किल होगा। क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने 2023 में चीन की राह भी मुश्किल बताई। उन्होंने कहा, "अगले कुछ महीने चीन के लिए कठिन होने जा रहे हैं और चीन की विकास दर पर इसका असर नकारात्मक होगा, इस पूरे क्षेत्र में इसका असर नकारात्मक होगा, वैश्विक विकास दर पर भी इसका असर नकारात्मक होगा।" बता दें कि हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 के अंत में चीन की इकॉनमी में गिरावट आई है। चाइना इंडेक्स एकैडमी के मुताबिक दिसंबर में मकानों की कीमत में लगातार छठे महीने गिरावट आई। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को लेकर चिंता जता चुके हैं।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष 190 सदस्य देशों वाला संगठन है। इस संस्था का काम दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाना है। यह दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था के बारे में अनुमान जताता है। हालांकि क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने सीधे तौर पर भारत के बारे में कोई अनुमान नहीं जताया लेकिन कहा कि सभी देशों में मंदी का असर दिखाई देगा।
अगर भारत की बात की जाए तो नए साल के पहले दिन देश के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर आई। देश के जीएसटी भंडार में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई। दिसंबर के दौरान कुल जीएसटी कलेक्शन 1,49,507 करोड़ रुपये हुआ है, जिसमें सीजीएसटी 26,711 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 33,357 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 78,434 करोड़ रुपये और उपकर 11,005 करोड़ रुपये है। नवंबर 2022 में कलेक्शन करीब 1.46 लाख करोड़ रुपये था।
दिसंबर 2022 के महीने में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उसका हिस्सा देने के बाद भारत सरकार को CGST के तहत 63,380 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों को SGST के जरिए 64,451 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।