Kedarnath-Hemkund Sahib Ropeway: सरकार ने बुधवार को उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। इनमें सोनप्रयाग से केदारनाथ (12.9 किलोमीटर) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिबजी (12.4 किमी) रोपवे परियोजनाएं शामिल हैं। दोनों परियोजनाओं पर कुल 6,811 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इन रोपवे परियोजनाओं से दोनों तीर्थस्थलों की यात्रा के समय को कम करने और पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के निर्माण की समयसीमा चार से छह वर्ष निर्धारित की गई है।
दोनों रोपवे का निर्माण राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के इन निर्णयों की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी लंबे रोपवे का निर्माण डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) प्रारूप पर किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 4,081.28 करोड़ रुपये होगी। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है।
यह सबसे उन्नत ‘ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला’ (3एस) प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा, जिसके तहत प्रति घंटे हर ओर 1,800 यात्री यात्रा कर सकेंगे। रोपवे के जरिये प्रतिदिन 18,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे। वैष्णव ने बताया कि गोविंदघाट से हेमकुंड साहिबजी तक 12.4 किमी लंबी रोपवे परियोजना को भी डीबीएफओटी प्रारूप पर विकसित किया जाएगा, जिसपर कुल लागत 2,730.13 करोड़ रुपये आएगी।
वर्तमान में हेमकुंड साहिबजी की यात्रा गोविंदघाट से 21 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है और इसे पैदल या टट्टुओं या पालकियों द्वारा पूरा किया जाता है। प्रस्तावित रोपवे की योजना हेमकुंड साहिबजी के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों और फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाई गई है।
यह (रोपवे) गोविंदघाट तथा हेमकुंड साहिब जी के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा गौरीकुंड से 16 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है और वर्तमान में इसे पैदल या टट्टुओं, पालकियों या हेलीकॉप्टर द्वारा पूरा किया जाता है।
प्रस्तावित रोपवे का उद्देश्य मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करना तथा सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए रोपवे परियोजना एक वरदान होगी क्योंकि यह पर्यावरण-अनुकूल, सुविधाजनक और तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करेगी तथा एक दिशा में यात्रा का समय लगभग 8 से 9 घंटे से घटाकर लगभग 36 मिनट कर देगी।’’
मंत्री ने कहा कि पिछले साल 23 लाख तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ मंदिर का दौरा किया और रोपवे परियोजना के साथ यह संख्या बढ़कर 36 लाख होने की उम्मीद है। वैष्णव ने बताया कि पिछले साल 1.77 लाख लोग हेमकुंड साहिबजी पहुंचे और रोपवे से वहां जाने वाले लोगों की संख्या 10 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।
उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी से श्रद्धालुओं का समय बचेगा, यात्रा और सुगम होगी: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं के निर्माण से केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का समय बचेगा तथा उनकी यात्रा और सुगम होगी। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज कैबिनेट ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देवभूमि उत्तराखंड में दो नए रोपवे को मंजूरी दी है। सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक। इनके निर्माण से जहां श्रद्धालुओं का समय बचेगा, वहीं उनकी यात्रा और सुगम होगी।’’
सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी लंबे रोपवे का निर्माण डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) प्रारूप पर किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 4,081.28 करोड़ रुपये होगी। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह सबसे उन्नत ‘ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला’ (3एस) प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा, जिसके तहत प्रति घंटे हर ओर 1,800 यात्री यात्रा कर सकेंगे। रोपवे के जरिये प्रतिदिन 18,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी बृहस्पतिवार को उत्तराखंड का दौरा भी करने वाले हैं। वह मुखबा में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल में पूजा-अर्चना करेंगे। उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘यह पावन स्थल अपने आध्यात्मिक माहात्म्य और अद्भुत सौंदर्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं, यह ‘विरासत भी और विकास भी’ के हमारे संकल्प का एक अनुपम उदाहरण है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देकर राज्य की अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं।
धामी ने केदारनाथ, हेमकुंड रोपवे की स्वीकृति देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविन्दघाट से हेमकुंड साहिब गुरूद्वारे के लिए रोपवे निर्माण को मंजूरी दिये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मोदी के बृहस्पतिवार के एक दिवसीय उत्तराखंड दौरे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने आने से पहले प्रधानमंत्री ने राज्य को दो बड़ी सौगात दे दी हैं।
प्रधानमंत्री उत्तरकाशी जिले में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा जाएंगे और वहां से प्रदेश में शीतकालीन चारधाम यात्रा का संदेश देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे का विकास होने से श्रद्धालुओं को इन तीर्थस्थलों के दर्शन के लिए पहुंचने में काफी सुगमता होगी। धामी ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री से इन दोनों रोपवे के निर्माण के लिए अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से विशेष लगाव है और उनके मार्गदर्शन में प्रदेश हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में शामिल हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार का हर क्षेत्र में राज्य को सहयोग मिल रहा है। श्री केदारनाथ का पुनर्निमाण, श्री बदरीनाथ के मास्टर प्लान के कार्य तेजी से हुए हैं।’’
वर्तमान में गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक की 16 किमी की दूरी को पैदल, घोड़ा-खच्चर, पालकी और हेलीकॉप्टर के माध्यम से तय किया जाता है, जिसमें करीब आठ से नौ घंटे का समय लगता है। रोपवे बनने के बाद यह समय घटकर लगभग 36 मिनट रह जाएगा। सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे की क्षमता प्रतिदिन 18 हजार यात्रियों को ले जाने की होगी।
केदारनाथ 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11968 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है। इसी प्रकार, गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर हेमकुंड साहिब तक पहुंचा जाता है जिसे श्रद्धालु पैदल या घोड़ा-खच्चर या पालकी से तय करते हैं।
गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे से फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों को भी सुविधा होगी। इस रोपवे की क्षमता प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाने की होगी। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है जो हर साल मई से सितंबर के बीच लगभग पांच माह खुला रहता है और इस दौरान यहां करीब दो लाख श्रद्धालु मत्था टेकने के लिए आते हैं।