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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ से बेफ्रिक भारत?, अगस्त में अब तक रूस से प्रतिदिन 20 लाख बैरल तेल खरीदा, पीएम मोदी ने दे रहे अमेरिका को झटका

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 15, 2025 17:17 IST

श्विक आंकड़ा एवं विश्लेषक फर्म केप्लर ने बताया कि अगस्त के पहले पखवाड़े में प्रतिदिन लगभग 52 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात हुआ, जिसमें से 38 प्रतिशत तेल रूस से आया।

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ठळक मुद्देरूस से आयात 20 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो जुलाई में 16 लाख बैरल प्रतिदिन था। इराक से खरीद घटकर 7.3 लाख बैरल प्रतिदिन रह गई, जो जुलाई में 9.07 लाख बैरल प्रतिदिन थी।सऊदी अरब से आयात सात लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 5.26 बैरल प्रतिदिन रह गया।

नई दिल्लीः भारत ने अगस्त में अब तक रूस से प्रतिदिन 20 लाख बैरल तेल खरीदा है क्योंकि रिफाइनरी कंपनियां कच्चा तेल खरीदने में आर्थिक पहलुओं को प्राथमिकता दे रही हैं। वैश्विक आंकड़ा एवं विश्लेषक फर्म केप्लर ने बताया कि अगस्त के पहले पखवाड़े में प्रतिदिन लगभग 52 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात हुआ, जिसमें से 38 प्रतिशत तेल रूस से आया।

इस दौरान रूस से आयात 20 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो जुलाई में 16 लाख बैरल प्रतिदिन था। इस तरह मासिक आधार पर रूस से तेल आयात बढ़ा है। समीक्षाधीन अवधि में इराक से खरीद घटकर 7.3 लाख बैरल प्रतिदिन रह गई, जो जुलाई में 9.07 लाख बैरल प्रतिदिन थी। सऊदी अरब से आयात सात लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 5.26 बैरल प्रतिदिन रह गया।

केप्लर के अनुसार अमेरिका 2.64 लाख बैरल प्रतिदिन के साथ भारत को तेल का पांचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने कहा, ''भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात अगस्त में अब तक स्थिर बना हुआ है, यहां तक कि जुलाई 2025 के अंत में ट्रंप प्रशासन के शुल्क की घोषणा के बाद भी।''

उन्होंने आगे कहा कि अब हम खरीद में जो स्थिरता देख रहे हैं, वह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि अगस्त की आपूर्ति जून और जुलाई की शुरुआत में ही तय हो गई थी। उन्होंने कहा कि आवक में कोई भी वास्तविक बदलाव सितंबर के अंत से अक्टूबर तक आने वाली खेप में ही दिखाई देगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को 'राष्ट्रीय गहरा समुद्र अन्वेषण' मिशन की घोषणा की जिसका उद्देश्य समुद्र की गहराई में तेल एवं गैस के नए भंडारों की खोजकर देश का उत्पादन बढ़ाना और अरबों डॉलर के तेल-गैस आयात बिल को कम करना है। भारत अपनी पेट्रोल और डीज़ल की जरूरत का लगभग 88 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की आधी जरूरत आयात से पूरी करता है।

आयात पर उच्च निर्भरता का एक कारण यह है कि देश में आसानी से मिलने वाले प्राकृतिक भंडार उपलब्ध नहीं हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 और ओएनजीसी के केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 जैसी तेल और गैस की बड़ी खोजें 2014 से पहले की अवधि में गहरे समुद्र के खंडों में हुई थीं।

मोदी ने कहा, "बजट का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल, डीजल, गैस और ऐसे अन्य संसाधनों के आयात पर खर्च होता है...इसमें लाखों करोड़ रुपये खर्च होते हैं।" उन्होंने कहा, "अगर हम ऊर्जा आयात पर निर्भर नहीं होते तो वह पैसा गरीबी को खत्म करने, किसानों के कल्याण और हमारे गांवों की स्थिति सुधारने में इस्तेमाल हो सकता था।...

लेकिन हमें वह पैसा दूसरे देशों में भेजना पड़ता है।" उन्होंने कहा कि सरकार अब देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, "भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हम अब समुद्र मंथन के एक नए चरण की शुरुआत कर रहे हैं।" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इसी कोशिश के तहत, हमारा लक्ष्य मिशन मोड में काम करके समुद्र की गहराई में तेल एवं गैस के भंडार खोजना है।

इसलिए भारत 'राष्ट्रीय गहरा समुद्र अन्वेषण' मिशन शुरू कर रहा है।" प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए ओआरडी संशोधन अधिनियम जैसे कानून सहित कई प्रमुख सुधार लागू किए गए हैं।

पुरी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 52 खोजें की गई हैं, तथा 2014 से अब तक 172 खोजें की गई हैं, जिनमें 66 अपतटीय खोजें शामिल हैं। अन्वेषण के लिए 3.80 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल आवंटित किया गया है, जबकि 2009 और 2014 के बीच 82,327 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल आवंटित किया गया था। भारत का ऊर्जा क्षेत्र नए क्षितिजों की खोज कर रहा है।

हाल ही में लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ यानी खोज से बाहर माने जाने वाले क्षेत्रों को खोज के लिए खोल दिया गया है और बोली के लिए खोल दिया गया है। इनमें नए गहरी समुद्री क्षेत्र जैसे अंडमान-निकोबार भी शामिल हैं। पुरी ने कहा कि अंडमान सागर में तेल और गैस की अच्छी संभावनाएं हैं। माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के तट और अंडमान सागर के गहरे पानी में तेल और गैस के बड़े भंडार मिल सकते हैं।

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