नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2023 में भारत द्वारा लगभग 9 बिलियन (अरब) डॉलर के मोबाइलफोन को एक्सपोर्ट की संभावना है जो पिछले साल के मुकाबले से ज्यादा है। पिछले साल जहां 5.8 बिलियन (अरब) डॉलर से अधिक की एक्सपोर्ट हुई थी वहीं इस साल यह एक्सपोर्ट बढ़कर 9 बिलियन (अरब) डॉलर होने की संभावना है।
इस बढ़ते हुए एक्सपोर्ट के पीछे का कारण यह है कि मोबाइल बनाने वाले कंपनियों के प्रोडक्शन और आउटवर्ड शिपमेंट में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में भारत कुल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 26 तक इसे 300 अरब डॉलर करने की योजना में है।
क्या है पूरा मामला
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में लगभग 87 बिलियन (अरब) डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों को बनाया गया था जो वित्त वर्ष 2023 में 100 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2023 के अप्रैल से लेकर अक्टूबर के बीच 5 बिलियन (अरब) डॉलर के मोबाइल फोन को एक्सपोर्ट किया गया है जो पिछले साल में केवल 2.2 बिलियन (अरब) डॉलर ही थी। इस पर बोलते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ईटी को बताया, ‘2021 की शुरुआत में हमने इंडस्ट्री के साथ बैठकर 300 अरब डॉलर के रोडमैप पर काम किया।’
इन कंपनियों के कारण भारत में बढ़ी है फोन की मैन्युफैक्चरिंग
मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, आने वाले वित्त वर्ष 2026 को लेकर यह टारगेट किया गया है कि जो निर्यात अभी 18-20 अरब डॉलर है उसे बढ़ाकर 120 अरब डॉलर किया जाए। आपको बता दें कि भारत में मोबाइल फोन के बढ़ते एक्सपोर्ट के पीछे ऐप्पल और सैमसंग जैसे बड़ी कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ने का असर है।
पीएलआई योजना 2020 के तहत बाहरी कंपनियों को भारत में लाने की पूरी कोशिश की गई है। ऐसे में तमिलनाडु डेल और भारत एफआईएच के साथ फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों ने भारत में अपना काम शुरू किया है जिससे फोन के निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं सैमसंग भी उत्तर प्रदेश में प्लांट लगाकर फोन की मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है जिससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है।