नई दिल्ली: अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के दिवालिया होने के बाद इसके नियामक ने बैंक की संपत्ति को जब्त कर उसे बंद कर दिया है। दिलचस्प बात ये है कि टेक स्टार्ट अप के लिए बड़े ऋणदाता के तौर पर जाने जाने वाले इस बैंक को हाल ही में फोर्ब्स की लिस्ट में अमेरिका की सर्वश्रेष्ठ बैंकों की रैंकिंग में लगातार पांचवें वर्ष स्थान दिया गया था।
हालांकि, लागातार बढ़ी निकासी की मांग को पूरा करने में असमर्थता के कारण बैंक ने बाहरी निवेशकों के माध्यम से अतिरिक्त पूंजी जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आखिर में बैंक नियामकों के पास सिलिकॉन वैली बैंक की संपत्ति को जब्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
इस खबर के बाद यूएस-आधारित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च भी सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के घेरे में है, जिसने हाल में गौतम अडानी पर 'कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला' करने का आरोप लगाया था। कई यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि एसवीबी मामले में जो गलत हुआ उस पर हिंडनबर्ग की नजर कैसे नहीं गई।
हिंडनबर्ग रिसर्च पर सोशल यूजर्स ने उठाए सवाल
अभिनेता विंदू दारा सिंह ने आश्चर्य जताया कि हिंडनबर्ग ने एसवीबी बैंक की कोई स्टडी क्यों नहीं की। एक अन्य यूजर ने लिखा, 'अडानी समूह ने अपने सभी ऋणों (शेयर कोलेटरल पर) का भुगतान कर दिया है, जबकि सिलिकॉन वैली बैंक ध्वस्त हो गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी को एक घोटाला करार दिया लेकिन एसवीबी के बारे में कुछ नहीं कहा। यह दर्शाता है कि हिंडनबर्ग रिसर्च कितना सटीक है।'
एक और यूजर ने लिखा, 'हिंडनबर्ग भारतीय अडानी समूह के साथ व्यस्त था' और उनके अपने देश का 'एसवीबी' दिवालिया हो गया....!!!" एक अन्य यूजर ने कहा, 'इतना बुद्धिमान हिंडनबर्ग अपने देश में एसवीबी के बारे में चुप क्यों रहा। एसवीबी का स्टॉक सिर्फ 2 दिनों में बर्बाद हो गया।'
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण अडानी समूह की फर्मों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। एक समय में लगभग ये 80% तक गिर गए थे। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में एक निवेश कोष GQG द्वारा 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी डालने के बाद शेयरों में कुछ रिकवरी देखी गई है।