नई दिल्ली: अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने जनवरी 2023 में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उपजे विवाद पर हमला बोला है। सोमवार को अडानी एंटरप्राइजेज की वार्षिक आम बैठक में गौतम अडानी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने ये सब समूह को बदनाम करने के लिए किया था। रिपोर्ट में कॉर्पोरेट प्रशासन में खामियों के आरोपों के कारण कंपनी को उथल-पुथल का सामना करना पड़ा था और समूह में तगड़ा नुकसान हुआ था। उस वक्त भी अडानी ने सभी आरोपों का खंडन किया था।
उन्होंने आगे कहा कि अडानी समूह न केवल हिंडनबर्ग घटना के बाद बच गया, बल्कि और मजबूत होकर सामने आया, उसने दिखाया कि कोई भी बाधा उसे कमजोर नहीं कर सकती। अडाणी ने कहा, "पिछले साल हमने जो दृढ़ता प्रदर्शित की थी, उससे अधिक दृढ़ता कभी नहीं देखी गई। अडानी समूह ने विदेशी शॉर्ट-सेलर द्वारा अखंडता और प्रतिष्ठा पर हमलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। साबित हुआ कि कोई भी चुनौती अडानी समूह की नींव को कमजोर नहीं कर सकती।"
62 साल के हुए अडानीने कहा, "हमें एक विदेशी निवेश और ‘शॉर्ट सेलर’ कंपनी के निराधार आरोपों का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में हमारी दशकों की कड़ी मेहनत पर सवाल उठाया गया। हमारी ईमानदारी और साख को कठघरे में खड़ा किया गया। पर हमने डटकर मुकाबला किया और साबित कर दिया कि कोई भी चुनौती उस नींव को कमजोर नहीं कर सकती जिस पर आपका समूह स्थापित है।"
हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने और टैक्स हेवन का अनुचित तरीके से उपयोग करने का आरोप लगाया गया था, जिससे गौतम अदानी के बंदरगाहों से बिजली समूह में बिकवाली हुई। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्ष में समूह को गलत सूचना और राजनीतिक आरोपों की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा।
गौतम अडानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अडानी समूह ने अपने निवेशकों के विश्वास और हितों को प्राथमिकता देना जारी रखा है। आरोपों की जांच के दौरान, समूह ने निवेशकों को एफपीओ के माध्यम से जुटाए गए 20,000 करोड़ रुपये वापस कर दिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि याचिकाकर्ता अडानी-हिंडनबर्ग जांच को एक विशेष जांच दल को स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त सामग्री प्रदान नहीं कर सके। अदालत ने यह पाते हुए याचिकाओं का निपटारा कर दिया कि "जांच के हस्तांतरण की सीमा" तय नहीं की गई है।