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सुबह जगने से लेकर रात सोने तक फायदा?, जीएसटी सुधार पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 22 सितंबर से उठाएं लाभ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 14, 2025 17:34 IST

सीतारमण ने कहा कि जिन 99 प्रतिशत वस्तुओं पर पहले जीएसटी के तहत 12 प्रतिशत कर लगता था, अब उनपर सिर्फ पांच प्रतिशत कर लगेगा। नए जीएसटी सुधार (2.0) 22 सितंबर से लागू होंगे।

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ठळक मुद्देमाल एवं सेवा कर का लाभकारी प्रभाव सुबह की शुरुआत से लेकर रात के सोने तक सभी उत्पादों पर रहेगा।जीएसटी सुधारों को लागू करने के निर्देश से बहुत पहले ही लागू करने का निर्णय लिया गया है। आमतौर पर नवंबर के उत्तरार्ध में शुरू होता है और क्रिसमस से पहले समाप्त होता है।

चेन्नईः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक बड़ी जीत है। सीतारमण ने रविवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के प्रत्येक राज्य के अपने त्योहारों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दीपावली से पहले जीएसटी सुधारों को लागू करने के निर्देश से बहुत पहले ही इन्हें लागू करने का निर्णय लिया गया है। संबोधन में सीतारमण ने कहा कि माल एवं सेवा कर का लाभकारी प्रभाव सुबह की शुरुआत से लेकर रात के सोने तक सभी उत्पादों पर रहेगा।

कुछ प्रमुख पहल का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि जिन 99 प्रतिशत वस्तुओं पर पहले जीएसटी के तहत 12 प्रतिशत कर लगता था, अब उनपर सिर्फ पांच प्रतिशत कर लगेगा। नए जीएसटी सुधार (2.0) 22 सितंबर से लागू होंगे।

संसद के शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बीमा संशोधन विधेयक : सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने वाला बीमा संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के उत्तरार्ध में शुरू होता है और क्रिसमस से पहले समाप्त होता है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या बीमा क्षेत्र में एफडीआई को और उदार बनाने वाला विधेयक आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है, तो उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है।’’ वित्त मंत्री ने इस साल के बजट भाषण में, नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा के 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करती हैं। विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा सुरक्षा और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।’’ अबतक, बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं।

वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना, चुकता पूंजी में कमी और एक समग्र लाइसेंस का प्रावधान शामिल है। एक व्यापक विधायी प्रक्रिया के तहत, जीवन बीमा निगम अधिनियम-1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम-1999 में बीमा अधिनियम-1938 के साथ-साथ संशोधन किया जाएगा। एलआईसी अधिनियम में संशोधनों का प्रस्ताव है कि इसके बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे परिचालन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार दिया जाए।

प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और बीमा बाजार में अधिक कंपनियों के प्रवेश को सुगम बनाने पर केंद्रित हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे बदलाव बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, कारोबार सुगमता और ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद करेंगे।

1938 का बीमा अधिनियम भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा कारोबार के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक इरडा के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में और अधिक कंपनियों के प्रवेश से न केवल इसकी पहुंच बढ़ेगी, बल्कि देशभर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वर्तमान में, भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या साधारण बीमा कंपनियां हैं,

जिनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड जैसी विशिष्ट साधारण बीमा कंपनियां शामिल हैं। बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा पिछली बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई थी। 2015 में, सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी थी। 

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