भारत चीन से भारी संख्या में वस्तुएं आयात करता है। इनमें टेक्सटाइल फैब्रिक, रेफ्रीजिरेटर और सूटकेस से लेकर एंटीबायोटिक्स जैसे कि एमोक्सिसिलिन, एरिथ्रोमाइसिन और मेट्रोनिडाजोल, विटामिन और कीटनाशक शामिल हैं। भारत का 50 फीसदी से भी ज्यादा आयात अकेले चीन से होता है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण चीन को चपत लग रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, भारत ने 1050 वस्तुओं की तलाश दुनियाभर के बाजार से शुरू कर दी है, जोकि वह चीन से आयात करता है। चीन से आयात की जाने वाली वस्तुओं की फेहरिस्त में स्वचालित डेटा प्रोसेसिंग मशीन, डायोड और सेमीकंडक्टर डिवाइस, ऑटो पार्ट्स और कई स्टील और एल्यूमीनियम आइटम और मोबाइल फोन भी शामिल हैं।
इस बारे में वाणिज्य विभाग पहले से ही विस्तृत परामर्श का कम से कम एक दौर पूरा कर चुका है, जिसने दुनियाभर में संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करने के लिए तैयारी कर ली है।
भारत स्विटरलैंड और इटली से एंटीबायोटिक्स की आपूर्ति कर सकता है क्योंकि वे चीन के साथ शीर्ष निर्यातक देशों में शामिल हैं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अगले हफ्ते इस बारे में विस्तृत विचार-विमर्श कर सकते हैं और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के उपायों की तलाश कर सकते हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस दंश
बता दें कि कोरोनावायरस महामारी के चलते चीन की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। शनिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में चीन में विनिर्माण गतिविधियां रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गयीं।
ताजा मासिक सर्वे के अनुसार, चीन का खरीद प्रबंध सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में गिर कर 35.7 पर आ गया। इस सूचकांक का 50 से नीचे रहना यह बताता है कि कारखाना उत्पादन घट रहा है। यदि सूचकांक 50 से ऊपर हो तो उसे उत्पादन में वृद्धि का संकेत माना जाता है। गैर-विनिर्माण गतिविधियों का सूचकांक फरवरी में 29.6 पर आ गया। यह जनवरी में 54.1 पर रहा था।
चीन का विनिर्माण पीएमआई जनवरी में भी 50 से नीचे था। चीन ने 2005 से इन आंकड़ों को जमा करना शुरू किया है। उसके बाद इसका यह सबसे खराब स्तर है। इससे पहले ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण में विनिर्माण पीएमआई के फरवरी में हल्की गिरावट के साथ 45 रहने का अनुमान जताया गया था लेकिन ताजा आंकड़ा उससे बहुत नीचे है।
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)