वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटले से इस्तीफा नहीं मांगा था। न्यूज चैनले आज तक को दिए इंटरव्यू में अरूण जेटली ने कहा मोदी सरकार को आरबीआई से कोई दिक्कत नहीं होती...जो भी समस्या थी वो जल्द खत्म हो जाती...लेकिन फिर भी उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि आरबीआई की नीतियों को आर्थिक नीतियों के अनुरूप भी बनाये जाने की जरूरत है।
जेटली ने टीवी चैनल के कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में कहा कि सरकार को चालू वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई के आरक्षित पूंजी भंडार से एक फूटी कौड़ी की आवश्यकता नहीं है। उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर सरकार की आलोचना पर जवाब देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय बैंक के आरक्षित कोष के आकार जैसे मुद्दों पर आरबीआई के निदेशक मंडल की बैठक में सौहार्दपूर्ण चर्चा हुयी। जेटली ने कहा, "सरकार ने कभी पटेल से इस्तीफा देने के लिये नहीं कहा था।"
बता दें कि अरुण जेटली ने देश की आर्थिक व्यवस्था पर भी आज तक न्यूज चैनले के दो दिन तक चलने वाले 'एजेंडा आजतक' में बात की। अरुण जेटली ने कहा कि उर्जित पटेल ने तत्काल प्रभाव से अपना पद छोड़ने का निर्णय किया था। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण नहीं बताया। गौरतलब है कि पटेल आरबीआई के 24वें गवर्नर थे। उन्हें सितंबर 2016 में तीन साल के लिए इस पद पर गवर्नर नियुक्त किया गया था। उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली थी।
हालांकि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पिछले हफ्ते ही सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद की बात स्वीकारी थी। उन्होंने कहा कि दो-तीन मुद्दे हैं जहां रिजर्व बैंक के साथ मतभेद है। हालांकि, उन्होंने सवाल उठाया कि रिजर्व बैंक के कामकाज के तरीके पर चर्चा करने मात्र से ही इसे कैसे एक संस्थान को ‘नष्ट’ करना कहा जा सकता है।
उर्जित पटेल के इस्तीफे की स्थिति पैदा करने को लेकर राजनीतिक आलोचनाओं का सामना कर रहे जेटली ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी समेत पूर्व सरकारों के ऐेसे उदाहरण दिये जिसमें आरबीआई के तत्कालीन गवर्नरों को इस्तीफा देने तक को कहा गया।
टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनोमिक कान्क्लेव में जेटली ने कहा था कि आरबीआई के साथ अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह तथा नकदी समर्थन समेत कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है और सरकार ने अपनी चिंता बताने के लिये बातचीत शुरू की थी।