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फिर से टाटा की हुई एयर इंडिया, समूह ने अधिग्रहण के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगायी

By भाषा | Updated: October 8, 2021 23:04 IST

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नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर एयर इंडिया फिर से टाटा समूह के पास पहुंच गयी है। टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है।

टाटा संस ने जिस विमानन कंपनी की स्थापना 90 साल पहले की थी, उसके लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली। सरकार ने टाटा संस की बोली को मंजूरी दे दी है।

सरकारी कंपनियों के निजीकरण की जिम्मेदारी संभालने वाले केंद्र सरकार के निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की एक विशेष इकाई (एसपीवी) सफल बोलीदाता के रूप में उभरी है।

एयर इंडिया के अधिग्रहण की दौड़ में टाटा संस ने स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की अगुवाई वाले समूह को पीछे छोड़ा।

दीपम के सचिव ने कहा कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है।

उन्होंने बताया कि दोनों बोलीदाताओं ने आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगायी थी और इस सौदे को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।

पांडेय ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मंत्रियों के एक समूह ने चार अक्टूबर को एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी।

इसके साथ ही टाटा समूह में एयर इंडिया की वापसी हुई है।

रतन टाटा ने शुक्रवार को एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिये टाटा संस की 18,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार करने के सरकार के निर्णय का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि एयरलाइन समूह के लिये एक मजबूत बाजार अवसर प्रदान करती है। हालांकि, कर्ज में डूबी एयर इंडिया को पटरी पर लाने के लिये काफी प्रयास की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एयर इंडिया का फिर से स्वागत है।’’

टाटा ने एक बयान में कहा, ‘‘टाटा समूह का एयर इंडिया के लिये बोली जीतना बड़ी खबर है।’’ उन्होंने यह स्वीकार किया कि कर्ज में डूबी एयर इंडिया को पटरी पर लाने के लिये काफी प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन यह जरूर है कि टाटा समूह के विमानन उद्योग में मौजूदगी को यह मजबूत बाजार अवसर उपलब्ध कराएगी।’’

टाटा ने कहा, ‘‘...एक समय जे आर डी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइनों में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी।’’

उन्होंने कहा कि टाटा को उस छवि और प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने का अवसर मिलेगा जो उसने पूर्व में हासिल की थी।

टाटा ने कहा, ‘‘ जे आर डी टाटा अगर आज हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते।’’ उन्होंने निजी क्षेत्र के लिए चुनिंदा उद्योगों को खोलने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।

जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ शुरू किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी।

1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था।

सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है, जिसमें एयर इंडिया की एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है।

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि टाटा समूह को एयर इंडिया की बिक्री एयरलाइन के लिए एक नयी सुबह का प्रतीक है और उन्हें उम्मीद है कि विमान वाहक सफल संचालन के जरिए लोगों को करीब लाना जारी रखेगा।

सिंधिया ने ट्वीट किया, ‘‘एयर इंडिया की टाटा समूह में वापसी एयरलाइंस के लिए एक नयी सुबह का प्रतीक है! नए प्रबंधन को मेरी शुभकामनाएं, और विमानन कंपनी के उड़ान भऱने के लिए एक नया रनवे बनाने के कठिन कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए दीपम सचिव और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को बधाई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि विमानन कंपनी अपने सफल संचालन के जरिए लोगों को करीब लाने के अपने मिशन को जारी रखेगी।’’

एयर इंडिया के कई कर्मचारी संघों ने शुक्रवार को विमानन कंपनी के पूर्व मालिक टाटा संस द्वारा राष्ट्रीय वाहक का अधिग्रहण करने के लिए बोली जीतने पर खुशी व्यक्त की।

एय़र इंडिया के इंडियन पायलट गिल्ड की समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘‘हमें यह सुनकर सबसे अधिक खुशी हुई कि टाटा समूह हमें संभाल रहा है। हम इस कंपनी को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए तत्पर हैं।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘और बदले में, हमें यकीन है कि टाटा समूह यह सुनिश्चित करेगा कि वर्षों से पारस्परिक रूप से लाभप्रद कामकाजी संबंध कायम रहे।’’

गिल्ड ने अगल से एक ट्वीट में कहा, ‘‘हमें गर्व है कि एयर इंडिया भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट द्वारा स्थापित विमानन कंपनी है और यह एयरलाइन टाटा समूह में वापस जा रही है। हम टाटा परिवार का हिस्सा बनने के लिए तत्पर हैं।’’

एयर इंडिया के एयरबस पायलटों के निकाय इंडियन नेशनल कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) ने कहा कि उसे नए नियोक्ता से बहुत उम्मीदें हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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