पटना, 1 अक्टूबरः भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा का सोमवार को 66वां जन्मदिन है। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के मिथिला क्षेत्र में सुपौल जिले में हुआ था। पढ़ाई के समय से ही उनका गायन की ओर रुझान बढ़ गया। पढ़ाई के दौरान ही वह अपने क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में मिथिला लोकगीत गाने लगी थीं। कुछ ही समय में उनकी प्रसिद्धि अपने क्षेत्र से बाहर जाने लगी और आसपड़ोस के शहरों, फिर जिलों और फिर दूसरे राज्यों से उन्हें गायकी के लिए बुलावे आने लगे।
इसी दौरान उनका बिहार की मशहूर छठ पूजा के लिए गाया गया गाना 'पहिले पहिल हम कइनी छठ' काफी मशहूर हो गया। इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थिति प्रयाग संगीत समिति की कई कार्यक्रमों में गाने का अवसर मिला। धीरे-धीरे वह दुर्गा पूजा, छठ, बिहार उत्सव आदि अवसरों की सबसे बड़ी गायिका बन गईं। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड से बुलावे आने लगे।
उन्होंने बॉलीवुड के लिए कई गाने भी गाए। लेकिन उन्होंने कभी अपनी धूरी नहीं छोड़ी वह लगातार लोकगायन में सक्रिय रहीं। इसी वजह से उन्हें इसी साल गणतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा था। जबकि साल 1995 में ही उन्हें पद्मश्री बना दिया गया था।
प्रसिद्धि बढ़ने के साथ ही शारदा सिन्हा ने भोजपुरी व मैथिली के अलावा वज्जिका, अंगिका मगही आदि भाषाओं/ बोलियों में गाने लगीं। उनके कई गीतों को क्लासिक माना गया है। नीचे उनके कुछ प्रमुख गानो की एक लिस्ट है, आप भी सुन सकते हैं-
1. साल 1996 में आई सलमान खान, भाग्यश्री अभिनीत मैंने प्यार किया में शारदा सिन्हा ने 'काहे तोहसे सजना' गाना गया था। सलमान की फिल्में कई बार गानों के लिए जानी जाती हैं। इनमें उनके शुरुआती दिनों का यह गाना काफी मशहूर है। इसके संगीतकार भी राम लक्ष्मण हैं। -
2. 'हम आपके हैं कौन' का विदाई गीत बाबूल मोहनीश बहल और रेणुका शहाणे पर फिल्माया गया था। इसे लिखा देव कोहली ने था और इसका संगीत राम लक्ष्मण ने तैयार किया था।
3. अनुराग कश्यप अपनी सबसे महत्वकांक्षी फिल्म बना रहे थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि दूसरे निर्देशकों के अधीन काम कर के वह थक गए और अपनी फिल्म बनाना चाहते थे अपने तरह से। लेकिन इसके लिए कई चुनौतियां आ रही थीं। तब गैंग्स ऑफ वासेपुर बनाने लिए उन्होंने उस जगह पर वापसी की थी, जहां उनका बचपन बीता था, जहां उनके जान-पहचान वाले थे। और इसी दौर में 'तार-बिजली से पतले हमारे पिया' के लिए वे कोई लोकगायिका ढूंढ़ रहे थे, तब उन्हें शारदा सिन्हा का साथ मिला था।
4. शारदा सिन्हा की पहचान इस छठ गीत से पहले एक मिथिला क्षेत्र की क्षेत्रीय गायिका के रूप में होती थी। लेकिन शारदा सिन्हा ने पहिले पहिल कइनी छठ गाया और उनको ना केवल पूरे उत्तर भारत बल्कि मॉरिशस व भोजपुरी के अन्य क्षेत्रों से भी गाने के लिए बुलावे आने लगे और वो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने जानी वाली गायिका हो गईं।
5. शारदा सिन्हा की आवाज का जादू 'नदिया के पार' के गाने 'जब तक पूरे ना हो फेरे सात' में चला। यह एक ऐसा गाना बन गया जिसके बिना उत्तर भारत की शादियां पूरी नहीं होती। आज भी शादियों में यह गाना बजता है।
लोकमत न्यूज शारदा सिन्हा को जन्मदिन की शुभकामनाएं देता है।