केरल: मशहूर फिल्मकार और दादा साहेब फाल्के पुस्कार विजेता अडूर गोपालकृष्णन ने केरल सरकार द्वारा चलाए जा रहे केआर नारायणन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विजुअल एंड आर्ट्स के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को अडूर गोपालकृष्णन ने इस्तीफा देने के साथ कहा, "विरोध संस्थान के एक पीआरओ स्टाफ ने साजिश के तहत किया है। संस्थान में किसी तरह का जातिगत भेदभाव नहीं हुआ है, मैं इस मामले की जांच की मांग करता हूं"।
गौरतलब है कि गोपालकृष्णन का इस्तीफा तब आया है, जब हाल ही में केआर नारायणन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विजुअल साइंस एंड आर्ट्स के निदेशक शंकर मोहन ने अपना इस्तीफा दिया था। संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों द्वारा विरोध का सामना करने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
गोपालकृष्णन ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए शंकर मोहन का समर्थन किया और कहा कि उन्हें मजबूर किया गया है कि वह अपने पद से इस्तीफा दें। उन्हें झूठे और अपमानजनक आरोपों में फंसाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, केरल सरकार द्वारा चलाए जा रहे संस्थान में पिछले साल दिसंबर से ही बवाल जारी है। संस्थान के छात्र लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शंकर मोहन ने एडमिशन के लिए कोटा मानदंडों को कम कर दिया था और जाति के आधार पर कर्मचारियों के साथ व्यवहार किया जाता था। निदेशक शंकर मोहन को हटाने की मांग को लेकर छात्र विरोध करते रहे और इस दौरान उनके साथ संस्थान में काम करने वाले कर्मचारियों का एक वर्ग भी शामिल हो गया, जो लगातार निदेशक को पद से हटने के लिए विरोध कर रहे थे।
संस्थान में काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि शंकर मोहन और उनकी पत्नी ने उनके साथ भेदभाव किया, उनसे अपने घर के बाथरूम की सफाई करवाई। हालांकि, निदेशक शंकर मोहन और अध्यक्ष गोपालकृष्णन इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए दिग्गज फिल्म निर्माता गोपालकृष्णन ने कहा कि संस्थान को शीर्ष स्तर पर लाने के लिए मैंने और मोहन ने पिछले तीन सालों के दौरान पूरी मेहनत और लगन से काम किया है। हमारे काम ने इस संस्थान को देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थान में बदल दिया है।
इस मामले में केरल सरकार ने जांच कमेटी का गठन किया है। जांच कमेटी द्वारा जांच की गई रिपोर्ट को लेकर छात्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि उन्हें भी इसका पता चल सके।