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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: गहरे संकट में पाकिस्तान

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 24, 2020 07:41 IST

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन तो उसके पीछे पड़ा ही है लेकिन महंगाई लोगों का दम निकाल रही है. गेहूं का आटा 70 रु. किलो हो गया है. तंदूर की रोटी के दाम डेढ़ गुना हो गए हैं. सब्जी के दाम भी आसमान छू रहे हैं. इमरान खान प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन शुरू से ही परेशानियों से घिरे हुए हैं. उनके मंत्री और पार्टी-नेता चाहे जो भी भारत-विरोधी बयान देते रहें, स्वयं इमरान भारत-पाक संबंधों को बेहतर बनाने के इच्छुक दिखाई पड़ते हैं लेकिन...

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कल तीन-चार खबरों को एक साथ रखकर मैं सोचता रहा कि आशा की किरण भी उभर रही है और साथ ही घनेरे बादल भी छाते चले जा रहे हैं. एक तरफ डोनाल्ड ट्रम्प और इमरान दावोस में मिल रहे हैं. ट्रम्प चाह रहे हैं कि कश्मीर के मामले में मध्यस्थता करें. ट्रम्प ने मोदी के सामने भी कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था.

इधर अटलजी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी अभी पाकिस्तान से लौटे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कई फौजियों, नेताओं, विद्वानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात हुई. उनका मूल्यांकन यह था कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद से बहुत तंग आ चुका है. वहां की जनता, नेता और फौज भी चाहती है कि कश्मीर का मसला बातचीत से हल किया जाए. वैसे भी पाकिस्तान से आ रही खबरें काफी चिंताजनक हैं.

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन तो उसके पीछे पड़ा ही है लेकिन महंगाई लोगों का दम निकाल रही है. गेहूं का आटा 70 रु. किलो हो गया है. तंदूर की रोटी के दाम डेढ़ गुना हो गए हैं. सब्जी के दाम भी आसमान छू रहे हैं. इमरान खान प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन शुरू से ही परेशानियों से घिरे हुए हैं. उनके मंत्री और पार्टी-नेता चाहे जो भी भारत-विरोधी बयान देते रहें, स्वयं इमरान भारत-पाक संबंधों को बेहतर बनाने के इच्छुक दिखाई पड़ते हैं लेकिन भारत सरकार खुद एक बड़ी मुसीबत में फंसी हुई है.

उसने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आनेवाले शरणार्थियों में से मुसलमानों का नाम निकालकर भारत के सारे विरोधियों को एक कर दिया है. इस नए नागरिकता कानून से भारत के मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं है.

भाजपा के स्वयंभू नेता सोचते हैं कि इससे हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण उनके पक्ष में हो जाएगा. वे भूलते हैं कि 2019 में उन्हें सिर्फ 37 प्रतिशत वोट मिला है. 60-65 प्रतिशत वोट क्या इसलिए उनके पक्ष में हो जाएगा कि वे पाकिस्तान और पड़ोसी देशों के मुसलमानों के विरोध में हैं? पाकिस्तान के खिलाफ कड़े रवैये से 2024 में भाजपा नहीं जीत सकती लेकिन तब तक के लिए पाकिस्तान से भाजपा के संबंध ठीक होने की भी उम्मीद कैसे की जाए?   

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