वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अब पुतिन खुद बात करें जेलेंस्की से

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: March 10, 2022 08:38 IST2022-03-10T08:38:19+5:302022-03-10T08:38:19+5:30

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नरमी के संकेत दिए हैं. ऐसे में अब भी व्लादिमीर पुतिन अपनी जिद पर डटे रहते हैं तो अनेक तटस्थतावादी देशों और बुद्धिजीवियों के बीच उनकी छवि विकृत होती चली जाएगी.

Ved Pratap Vaidik blog: Now Vladimir Putin himself should talk to Vlodimir Zelensky | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अब पुतिन खुद बात करें जेलेंस्की से

व्लादिमीर पुतिन को खुद अब यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात करने की जरूरत (फाइल फोटो)

यूक्रेन से हजारों भारतीय सुरक्षित लौट आए, यह खुशखबर है. रूस और यूक्रेन ने उन्हें बाहर निकलने के लिए सुरक्षित बरामदा दे दिया है. बदले में भारत इस वक्त यूक्रेन और रूस दोनों की मदद करे, यह जरूरी है. यह काम न अमेरिका कर सकता है, न चीन और न ही अन्य यूरोपीय राष्ट्र, क्योंकि वे इस या उस पक्ष से जुड़े हुए हैं. 

रूसी हमले को अब दो सप्ताह होने को आए हैं. अब दोनों देशों का दम फूलने लगा है. रूस में भी हजारों लोग पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अब ऐसा बयान दे दिया है कि उसे वह महीने-दो महीने पहले दे देते तो रूसी हमले की नौबत ही नहीं आती.

उन्होंने न सिर्फ नाटो के जबानी-जमा-खर्च की पोल खोल दी बल्कि अपनी गलती भी स्वीकार की. उन्होंने नाटो के फुसलावे में आकर रूस से झगड़ा मोल ले लिया. अब उन्होंने एबीसी न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में साफ-साफ कह दिया है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. नाटो किस काम का है? उसने यूक्रेन का इतना-सा निवेदन भी नहीं माना कि वह यूक्रेन के हवाई-क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दे ताकि रूसी विमान यूक्रेन पर बम न बरसा सकें. वे ऐसे देश के राष्ट्रपति नहीं बने रहना चाहते हैं, जो घुटने टेक कर अपनी सुरक्षा की भीख मांगे. 

जेलेंस्की ने दोनबास क्षेत्र के दो जिलों को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की रूसी घोषणा की दो-टूक भर्त्सना नहीं की. उन्होंने कहा कि दोनेत्स्क और लुहांस को रूस के अलावा किसी ने भी मान्यता नहीं दी है. इन दोनों क्षेत्रों के भविष्य के बारे में भी हम बातचीत कर सकते हैं. लेकिन वहां के निवासियों में जो लोग यूक्रेन के साथ रहना चाहते हैं, उनके बारे में भी सोचना होगा.

जेलेंस्की के इस बयान के बावजूद यदि पुतिन अपनी जिद पर डटे रहते हैं तो अनेक तटस्थतावादी देशों और बुद्धिजीवियों के बीच उनकी छवि विकृत होती चली जाएगी. इस समय जो चीन बराबर रूसी रवैये के प्रति सहानुभूति दिखाता रहा है, उसने भी रूस से अपील की है कि वह संयम का परिचय दे. तुर्की और चीन भी अब मध्यस्थता की कोशिश में लगे हैं. 

आशंका यही है कि कहीं पाकिस्तान के इमरान खान इस मामले में भारत से आगे न निकल जाएं. वे हमले के वक्त मास्को में थे और भारत की तरह वे तटस्थ भी रहे हैं. जहां तक जेलेंस्की का सवाल है, उनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी. वे अफगानिस्तान के अशरफ गनी की तरह देश छोड़कर भागे नहीं हैं. न ही वे कहीं जाकर छिप गए हैं. ऐसे जेलेंस्की से अब बात करने में पुतिन को कोई एतराज क्यों होना चाहिए?

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: Now Vladimir Putin himself should talk to Vlodimir Zelensky

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