BLOG: एक-दूसरे को 'समझना' क्या सचमुच इतना मुश्किल है?

By स्वाति सिंह | Updated: June 10, 2018 19:01 IST2018-06-10T19:01:30+5:302018-06-10T19:01:30+5:30

पहले लोग केवल आँखों-आँखों में एक दूसरे के हाल हो समझ जाया करते थे।आज आलम यह है कि जुबान से कही हुई बात भी लोग समझते नहीं है।

swati singh BLOG: Is it really difficult to 'understand' in relation or we don't try enough? | BLOG: एक-दूसरे को 'समझना' क्या सचमुच इतना मुश्किल है?

BLOG: एक-दूसरे को 'समझना' क्या सचमुच इतना मुश्किल है?

शायद किसी और के 'मन' को समझना मुश्किल होता है। शायद इतना मुश्किल की हम कभी समझ ही नहीं पाते। या शायद हम समझना नहीं चाहते।  या शायद समझने के बाद भी ना समझने का दिखावा करते हैं। दूर क्यों जाना किसी और रिश्ते की बात क्यों करना जरा खुद के अतीत पर ही गौर करें तो हम ये बात बड़ी आसानी से समझ पाएंगे।

याद है जब हम छोटे थे स्कूल के दिनों में 'मम्मी आप बात समझते ही नहीं हो' ये वो लाइन है जो हम बोलते थे। वहीं दूसरी तरह मम्मी से भी कई बार ऐसी ही लाइन सुनने को मिलता था।  मतलब यह बाते तो बचपन में ही साफ़ हो गई कि कोई किसी के मन की बात समझ नहीं सकता।  लेकिन अब मसला यह है कि हम इस सच्चाई को बखूबी जानते हुए भी हम उम्मीद लगाते क्यों हैं।  

पहले लोग केवल आँखों-आँखों में एक दूसरे के हाल हो समझ जाया करते थे।आज आलम यह है कि जुबान से कही हुई बात भी लोग समझते नहीं है। क्या सच में मन को समझना कोई रॉकेट साइंस बन गया है? चलिए अब जरा थोड़ा और आगे चलते है बचपन से जवानी के दौर में यहां तो लगता है बस एक दोस्त ही है जो समझता है। आपकी सारी बातें, मुश्किलें, जिंदगी की जद्दोजहद भी। 

लेकिन एक वक्त आता है जब हम और समझदार हो जाते है और दोस्ती भी कहीं पीछे छूट जाती है।  या ये कह लें कि समय के अभाव में प्राथमिकता बदल जाती है। तब वही दोस्त जो आपको समझता था वह भी दूर हो जाता है।  यहां एक बार फिर समझने की उम्मीद टूट जाती है।  

फिर एक दौर आता है मोहब्बत का, जहां उम्मीद की जाती है कि दो लोग बिना कहे-सुने एक-दूससरे को समझ सकें। हालांकि मेरा तजुर्बा यहां कम है फिर भी जहां तक मैं समझती हूं। शुरुआती दौर में रिश्तों के बीच समझ दिखती है। लेकिन यहां एक बार फिर वक्त की नज़र लग जाती है और वह समझ कहीं गुम हो जाती है। एक बार फिर से उम्मीद का टूट जाती है। उम्मीद के टूटने का असर रिश्ते पर भी दिखाई देता है। इसके आगे की बात बताई तो वह मेरे लिए ज्ञान बघारने वाली बात होगी।

ज्यादा दुनिया देखी नहीं अभी तक मैंने।  लेकिन अभी तक यह समझ नहीं आया कि सच में समझना इतना मुश्किल है या हमने खुद ही इससे मुश्किल बनाया है। खैर इस सवाल का जवाब मुझे तो अभी तक नहीं मिला है। शायद आपके पास हो।  

लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर के सब्सक्राइब करें।

Web Title: swati singh BLOG: Is it really difficult to 'understand' in relation or we don't try enough?

रिश्ते नाते से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे