मेरे पापा बिलकुल मेरी ही तरह जिद्दी, मनमौजी और बातूनी हैं। हाँ, सही भी है क्यों ना हो ऐसे, आखिर मेरे पापा हैं। हर पापा अपनी बेटी के लिए सुपर हीरो होते हैं, आइडियल होते हैं। जाहिर है मैं भी एक लड़की हूं मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है। लेकिन यहां मामला थोड़ा हटके है। अगर सबसे ज्यादा किसी से लड़ती हूं तो वो हैं मेरे पापा। चाहे वह शॉपिंग की बात हो या खाने की। हाँ, मेरे पापा खाना बनाने के बहुत शौकीन हैं, उतना ही खाने के भी। खासतौर पर नॉन-वेज, जोकि मुझे बिलकुल नापसंद है। इसके लिए मैंने बचपन से इतनी रिक्वेस्ट सुनी है। जैसे प्लीज मेरा अच्छा बेटा आज मेरे साथ चिकन खाएगा। चल बेटा आज सिर्फ ग्रेवी-ग्रेवी खा ले टाइप कुछ। लेकिन इस मामले में मैं एक सरकारी अफसर की भूमिका में नजर आती हूं जहां बार-बार उनकी फाइल रिजेक्ट हो जाती है। बहुत ज्यादा बड़ी-बड़ी बाते नहीं लिखूंगी मैं बस एक-आध किस्से बताऊंगी जिसे मैं कभी भूल नहीं सकती।
मुझे याद है बचपन में कैसे हमारे कुछ मांगने से पहले ही मेरे पापा चीजें लेकर चले आ जाते थे। उन्होंने हमेशा एक दोस्त बनकर हमारी सभी कमियों को पूरा किया है और करते हैं। जब मेरे दोस्त कहते थे कि उनके पापा स्टिक (सख्त) हैं तो मैं इस बात का भरोसा आज तक नहीं कर पाई शायद इसलिए क्योंकि मैंने ऐसा कभी देखा ही नहीं है। वैसे तो मेरे और मेरे पापा के बीच की सभी बातें दिलचस्प और रोचक होती हैं।
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एक बार मम्मी नहीं थी यहां, शायद गांव गई हुई थीं। उन दिनों मैं कालेज में थी। मेरे पापा शाम को आए और थोड़े टेंशन में लग रहे थे। इसी बीच मैंने उनसे कुछ कहा शायद कही जाने की बात की। वह गुस्सा हुए और उन्होंने मना कर दिया। वह बात इतनी बड़ी नहीं थी तो मैंने भी ज्यादा नहीं सोचा और डिनर करके सो गई। अगले दिन रोज की तरह अपने टाइम पर कालेज लिए चली गई। वहां जाकर लगभग दोपहर 2:30 बजे मेरे पापा ने मुझे कॉल किया और मुझ से कुछ कहा- 'बेटा आई एम सॉरी। मैं खामखा आप पर गुस्सा हो गया। आपकी गलती नहीं थी।' बेटा प्लीज माफ कर दो'। और जो खास बात थी वह मुझे डांटने के बाद इतनी ज्यादा टेंशन में थे कि उन्होंने तब तक खाना भी नहीं खाया था।
यह बात शायद बहुत मामूली सी है। लेकिन मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात थी। क्योंकि मैंने कभी अपने किसी भी दोस्त के पापा या मम्मी को ऐसा करते नहीं देखा। यह वह आलम था जब मेरे पापा फिर से मेरी नजरों में मेरे हीरो बने।
जैसा की हम सभी जानते हैं स्कूल के दिनों जो सबसे ज्यादा बड़ी ख्वाइश होती ही वो यह की आपके पास भी एक अच्छा सा स्मार्ट फोन हो। और मेरे पास था भी। एक शाम छुट्टी की शाम थी मैं, मेरी मम्मी, भाई और बहन बैठे थे। तभी मम्मी में मेरा फोन लिया और गैलरी देखने लगी। तभी अचानक मेरे पापा आ गए। उन्होंने यह नजारा देखा, और फिर कुछ कहा। उन्होंने जो उस वक्त कहा शायद वो बात कोई बाप अपने बेटे के लिए भी ना कहे। उन्होंने कहा 'हर किसी की अपने लाइफ में कुछ प्राइवेसी होती है। हमें बच्चों का फोन नहीं देखना चाहिए।' और यह तब की बात है जब में स्कूल में थी। उसके बाद से आज तक ना कभी मम्मी ने मेरा फोन छुआ और ना किसी के कॉल और मेसेज पर सवाल किया। और पापा उन्होंने तो उससे पहले भी ऐसा कुछ नहीं किया।
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आगे अभी बहुत कुछ है जो मैं लिखना चाहती हूं। यह एक विषय है जिसपर लिखते हुए ना मैं थक सकती हूं ना ही मेरी उंगलियां। पता है पा मैं आपसे लड़ती, झगड़ती हूं, बिगड़ती हूं। लेकिन आप से बहुत प्यार करती हूं। इसके साथ ही एक विश और है मेरी मुझे मेरा हसबैंड मेरे पापा जैसा ही चाहिए। एक बात बताऊं पापा आप कहते हो ना मैं बहुत सवाल करती हूं, समझदार हूं। यह सवाल करना मुझे आपने सिखाया है।
थैंक यू, मुझपर भरोसा करने के लिए। थैंक यू मुझे समझने के लिए। Thank you for being my SuperHero. I Love You.
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