फादर्स डे 2018: मेरे सुपरहीरो और सबसे अच्छे दोस्त हैं मेरे पापा

By मेघना वर्मा | Published: June 17, 2018 07:10 AM2018-06-17T07:10:03+5:302018-06-17T09:01:37+5:30

भगवान मुझे कभी इतना बिजी ना कर दें कि मैं औरों की तरह अपने पापा का फोन काट दूं, दोस्तों के साथ रहूं तो फोन पर पापा को डांट दूं कि गलत टाइम पर फोन क्यों करते हैं।

Father's Day 2018: Blog by Meghna Verma | फादर्स डे 2018: मेरे सुपरहीरो और सबसे अच्छे दोस्त हैं मेरे पापा

फादर्स डे 2018: मेरे सुपरहीरो और सबसे अच्छे दोस्त हैं मेरे पापा

पापा, ये शब्द मेरे लिए दुनिया की हर खुशी लेकर आता है। मेरे लिए ही नहीं शायद सारी लड़कियों के लिए उनके सुपरहीरो उनके पापा ही होगें। याद है मुझे वो दिन जब पहली बार स्मार्ट फोन दिलाने के लिए मैनें अपने पापा से कहा था। पहली बार में तो उन्होंने मुझे अच्छा कुछ दिन रुक जाओ कहकर टाल दिया था लेकिन मेरे लिए उस समय वो मेरे सबसे बड़े दुश्मन बन गए थे। 15 दिन बाद भी जब उन्होंने मुझे स्मार्ट फोन नहीं दिलाया तो मैं बगावत पर उतर आई थी। अब हम बच्चे अपने मां-बाप के साथ बगावत एक ही तरीके से करते हैं और वो है खाना ना खाकर। मैंने भी कुछ ऐसा ही किया था दिन भर भूखी रही कि शायद यही देखकर पापा पिघल जाए और मुझे फोन दिला दें। 

लगा मैनें जंग जीत ली

मेरी मेहनत रंग लाई और मैं जंग जीत गई शाम को बड़ी कवायद के साथ मैनें डेढ़ हजार का नया फोन ले लिया। आज जब ये घटना सोचती हूं तो आंख में आंसू अपने आप ही आ जाते हैं कि मेरे लिए अपने स्टोन के ऑपरेशन के बचाए पैसे को उन्होंने खर्च कर दिए। हां जानती हूं डेढ़ हजार बड़ी रकम नहीं लेकिन मिडिल क्लास फैमिली से एक झटके में इतना पैसा निकाल लो तो पूरा बजट गढ़बढ़ा जाता है। आज इतने सालों बाद जब उनसे डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी पर बैठी हूं तो खुद पर बहुत गुस्सा आता है। काश उस समय अपने दोस्तों के चक्कर में पड़कर मैंने जिद ना कि होती, काश मैं उनकी मजबूरी समझ पाती। 

मेरे लिए हर दिन फादर्स डे

आज मेरे पापा मेरे सबसे अच्छे दोस्त बन गए हैं मगर एक आदत उनकी आज भी नहीं बदली। आज भी वो फोन करते ही सबसे पहले यही पूछते हैं, कुछ खाई। फार्दस डे मेरे लिए सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि हर दिन मेरे लिए फार्दस डे है। आज भी ऑफिस से लौटने के बाद सबसे पहले मैं अपने घर फोन लगाती हूं। मम्मी, पापा, भाई सबसे बात करती हूं उसके बाद ही कोई खाना मुझे हजम होता है।

आज के बिजी लोगों को देखकर मुझे बस यही डर लगता है कि भगवान मुझे कभी इतना बिजी ना कर दें कि मैं औरों की तरह अपने पापा का फोन काट दूं, दोस्तों के साथ रहूं तो फोन पर पापा को डांट दूं कि गलत टाइम पर फोन क्यों करते हैं। कुछ ऐसे लोगों को भी जानती हूं जो अपने पापा से बात कम और उनमें शिकायतें ज्यादा खोजते फिरते हैं। बस उन सबके लिए यही दूआ है कि उन्हें कभी अपने पिता से दूर ना जाना पड़े नहीं जिंदगी के मायने ही बदल जायेगें।मे

Web Title: Father's Day 2018: Blog by Meghna Verma

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