व्यवसाय या रोजगार के दायरे में या फिर महिला या युवा होने का दर्द भी राजनीतिक सत्ता के लोकतंत्न तले क्या हो सकता है यह किसानों की खुदकुशी और मनरेगा से भी कम आय पाने वाले देश के 25 करोड़ किसान-मजदूरों को देख कर या फिर सरकारी आंकड़ों से ही जाना जा सकता
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यह प्रश्न यहां उठ सकता है कि क्या भूटान के लोगों ने पीडीपी की भारत अभिमुख नीति को अस्वीकार कर दिया है और नई सरकार इसके विपरीत दिशा में काम करेगी? इस प्रकार का प्रश्न उठाने वाले और आशंका प्रकट करने वाले एकदम गलत नहीं हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि आलोक वर्मा राफेल सौदे की जांच पर अड़े हुए थे, इसीलिए उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है और सरकार गुजरात कैडर के अस्थाना को बचाने में जुटी है।
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क्या आप खून ने सना सैनिटरी पैड लेकर दोस्त के घर जा सकते है, या भगवान के घर में( मंदिर)? ये सवाल टेक्सटाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने पूछा है। इनके बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर हर तरफ हो रही है।
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इन प्रौद्योगिकियों के भौतिक और सांस्कृतिक प्रभाव की कल्पना कीजिए। अदृश्य बम हथियारों की खोजबीन के प्रयासों को निर्थक बना देगा; इरादों को ही सबूत माना जाने लगेगा। हवाई यात्र के बारे में जोखिम बढ़ने के अलावा, इसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकत
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पिछले साल दिवाली पर ऐसा प्रदूषण फैला था, जैसे कि किसी संक्रामक रोग ने दिल्ली पर हमला बोल दिया हो। हमारे देश के तमाम जिम्मेदार लोग, संस्थाएं तथा सरकार इस मामले में बिल्कुल अर्थहीन साबित हो गए हैं।
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कुछ ही दिन पहले एक केंद्रीय मंत्नी का वीडियो वायरल हुआ था। उसमें उन्हें कहते हुए दिखाया गया था कि 2014 के चुनाव के वक्त उनकी पार्टी को इस बात का कोई भरोसा नहीं था कि वह चुनाव जीत भी सकती है, इसलिए यह रणनीति बनाई गई कि बड़े-बड़े वादे किए जाएं। पर संयो
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75 साल पहले इन दवाओं का उत्पादन शुरू हुआ था। प्लेग जैसी महामारी से इन्हीं दवाओं ने छुटकारा दिलाया। हकीकत यह भी है कि मलेरिया जैसी घातक और विश्वव्यापी बीमारी पर नियंत्रण इन्हीं एंटीबायोटिक दवाओं से है।
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देश में वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 6.85 करोड़ पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं देश में एक करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा की कमाई वाले करदाताओं की संख्या 1.40 लाख हो गई है।
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