आतिशबाजी के आदेश का कितना पालन होगा? 

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 25, 2018 08:36 PM2018-10-25T20:36:40+5:302018-10-25T20:36:40+5:30

यह किसी से छुपा नहीं है कि दीपावली की आतिशबाजी राजधानी दिल्ली सहित देश के 200 से अधिक महानगरों व शहरों की आबोहवा को जहरीला कर देती है।

How much order will follow on firecrackers? | आतिशबाजी के आदेश का कितना पालन होगा? 

फाइल फोटो

-पंकज चतुवेदी
दीपावली के 15 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि आतिशबाजी आम लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल रही है और इसीलिए सीमित आवाज के पटाखे केवल दो घंटे ही चलाए जा सकते हैं। सनद रहे कि इस साल दिवाली से पहले ही दिल्ली ही नहीं देश के बड़े हिस्से में ‘स्मॉग’ ने जो हाल किया है, उसे याद कर ही सिहरन आ जाती है। स्मॉग यानी फॉग यानी कोहरा और स्मोक यानी धुआं का मिश्रण। इसमें जहरीले कण शामिल होते हैं जो कि भारी होने के कारण ऊपर उठ नहीं पाते व इंसान की पहुंच वाले वायुमंडल में ही रह जाते हैं। जब इंसान सांस लेता है तो ये फेफड़े में पहुंच जाते हैं। किस तरह दमे और सांस की बीमारी के मरीज बेहाल हो रहे हैं, किस तरह सड़कों पर यातायात प्रभावित हो रहा है, कई हजार लोग ब्लड प्रेशर व हार्ट अटैक की चपेट में आ रहे हैं- इसके किस्से हर कस्बे, शहर में हैं।

 साल 2015 में प्रदूषण से होने वाली मौतों में भारत शीर्ष पर रहा है। ‘लैंसेट जर्नल’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 में वायु, जल और दूसरी तरह के प्रदूषणों की वजह से भारत में 25 लाख लोगों ने जान गंवाई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पाबंदी वाली रात के बाद आंकड़े जारी कर बताया कि सुबह 6 बजे अलग-अलग जगहों पर प्रदूषण का स्तर अपने सामान्य स्तर से कहीं ज्यादा था। यहां तक कई जगहों पर यह 24 गुना से भी ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है  सुबह 6 बजे के आंकड़ों की बात करें तो पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से कहीं ज्यादा बढ़ा हुआ है़ पीएम 2.5 वह महीन कण हैं जो हमारे  फेफड़े के आखिरी सिरे तक पहुंच जाते हैं और कैंसर की वजह भी बन सकते हैं  चिंता की बात यह है कि पीएम 2.5 का स्तर इंडिया गेट जैसे इलाकों में जहां हर रोज सुबह कई लोग आते हैं वहां 15 गुना से भी ज्यादा ऊपर आया है।

यह किसी से छुपा नहीं है कि दीपावली की आतिशबाजी राजधानी दिल्ली सहित देश के 200 से अधिक महानगरों व शहरों की आबोहवा को जहरीला कर देती है। राजधानी दिल्ली में तो कई सालों से बाकायदा एक सरकारी सलाह जारी की जाती है -  यदि जरूरी न हो तो घर से न निकलें। फेफड़ों को जहर से भर कर अस्थमा व कैंसर जैसी बीमारी देने वाले पीएम यानी पार्टिक्युलर मैटर अर्थात् हवा में मौजूद छोटे कणों की निर्धारित सीमा 60 से 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि दीपावली से पहले ही यह सीमा 900 के पार तक हो गई है। ठीक यही हाल न केवल देश के अन्य महानगरों बल्कि प्रदेशों की राजधानी व मंझोले शहरों के भी हैं। चूंकि हरियाणा-पंजाब में खेत के अवशेष यानी पराली जल ही रही है, साथ ही हर जगह विकास के नाम पर हो रहे अनियोजित निर्माण जाम, धूल के कारण हवा को दूषित कर रहे हैं, तिस पर मौसम का मिजाज। यदि ऐसे में आतिशबाजी चलती है तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।

(पंकज चतुवेदी वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

Web Title: How much order will follow on firecrackers?

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