जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतियों के बीच अच्छे आर्थिक संकेत

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 24, 2018 04:34 PM2018-10-24T16:34:35+5:302018-10-24T16:34:35+5:30

देश में वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 6.85 करोड़ पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं देश में एक करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा की कमाई वाले करदाताओं की संख्या 1.40 लाख हो गई है। 

Blog of Jayantilal Bhandari: Good Economic Indication Between Challenges | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतियों के बीच अच्छे आर्थिक संकेत

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चुनौतियों के बीच अच्छे आर्थिक संकेत

निश्चित रूप से एक ऐसे समय में जब देश आर्थिक चुनौतियों और मुश्किलों का सामना कर रहा है तब देश के आर्थिक परिदृश्य पर दो महत्वपूर्ण आर्थिक संकेत दिखाई दिए हैं। 

एक, 22 अक्तूबर को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने करदाताओं की संख्या बढ़ने और प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने के महत्वपूर्ण आंकड़े प्रकाशित किए हैं तथा दो, 17 अक्तूबर को विश्व आर्थिक मंच ने प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की रैंकिंग में सुधार किया है। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड  की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले चार वर्षो में देश में आयकरदाताओं की संख्या में 80 फीसदी की वृद्धि हुई है तथा देश में करोड़पतियों की संख्या 60 फीसदी बढ़ी है।

देश में वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 6.85 करोड़ पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं देश में एक करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा की कमाई वाले करदाताओं की संख्या 1.40 लाख हो गई है। 
सरकार ने पिछले चार वर्षो में कड़े कानून बनाकर कालेधन पर जो लगाम लगाई है, बेनामी संपत्तियों के खिलाफ कानून बनाया है, बाजार में मौजूद बड़ी मात्र में नकदी को बैंक सिस्टम में लाया गया है, उससे और जीएसटी लागू होने के कारण आर्थिक सुधारों को दिशा मिली है तथा अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिली है।

विगत 17 अक्तूबर को विश्व आर्थिक मंच यानी वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के द्वारा दुनिया के 140 देशों की अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्धा क्षमता के आधार पर तैयार की गई वर्ष 2018 की सूची में भारत को 62 अंक के साथ 58वें पायदान पर रखा गया है।

 पिछले साल भारत इस सूची में 62वें स्थान पर था। अर्थव्यवस्था के तहत प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ने के कारण ही कच्चे तेल की  बढ़ती कीमतों और डॉलर की तुलना में रुपए में भारी गिरावट के बाद भी भारत विकास दर के मामले में दुनिया में सबसे आगे है।

 अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। वर्ष 2018-19 में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी रहेगी। कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी व जीएसटी के खतरों से उबर गई है। 

आईएमएफ ने रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही के वर्षो में भारत ने अच्छे आर्थिक सुधार किए हैं। कुछ आर्थिक सुधारों का भारत को विशेष रूप से फायदा हुआ है और जीएसटी के कारण दीर्घावधि में लाभ पहुंचेगा। 

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