तकनीक और संस्कृति की प्रकृति

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 26, 2018 10:38 AM2018-10-26T10:38:04+5:302018-10-26T10:38:04+5:30

इन प्रौद्योगिकियों के भौतिक और सांस्कृतिक प्रभाव की कल्पना कीजिए। अदृश्य बम हथियारों की खोजबीन के प्रयासों को निर्थक बना देगा; इरादों को ही सबूत माना जाने लगेगा। हवाई यात्र के बारे में जोखिम बढ़ने के अलावा, इसके  परिणामस्वरूप बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

technology and nature of culture | तकनीक और संस्कृति की प्रकृति

तकनीक और संस्कृति की प्रकृति

संतोष देसाई

क्या होता यदि अब तक अदृश्य बम का आविष्कार हो चुका होता? यदि हम एक-दूसरे का दिमाग पढ़ पाते तो क्या होता? यदि हम कपड़ों के आरपार देख पाते तो क्या होता? इनमें से कोई भी तकनीक संभावना के क्षेत्र से बाहर नहीं है। वास्तव में किसी न किसी रूप में ये सब पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन वे व्यापक रूप में नहीं हैं और न ही अपने वर्तमान स्वरूप में व्यावहारिक हैं। फिर भी इनमें से कोई मामला ऐसा नहीं है जिसमें हम आने वाले कुछ ही वर्षो में इन प्रौद्योकियों का रोजाना इस्तेमाल में आने लायक सुलभ संस्करण  तैयार करने में सफल न हो जाएं।

इन प्रौद्योगिकियों के भौतिक और सांस्कृतिक प्रभाव की कल्पना कीजिए। अदृश्य बम हथियारों की खोजबीन के प्रयासों को निर्थक बना देगा; इरादों को ही सबूत माना जाने लगेगा। हवाई यात्र के बारे में जोखिम बढ़ने के अलावा, इसके  परिणामस्वरूप बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इससे सभी मनुष्यों के संभावित आतंकवादी होने का शक पैदा होगा और किसी के शक की पुष्टि का कोई उपाय नहीं होने से हर तरफ संदेह का वातावरण बन जाएगा। इससे जो संभावित परिदृश्य बनेगा उसके अनेक आयाम होंगे, लेकिन इतना कहना पर्याप्त है कि उसका बहुत व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

इन प्रयोगों पर विचार करने का उद्देश्य भविष्य का अनुमान लगाना या विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना नहीं है, बल्कि उन प्रौद्योगिकियों के अनुमानित प्रभाव के बारे में सोचना है जिनका अभी तक आविष्कार नहीं हुआ है। प्रौद्योगिकी का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हाथ होता है और भविष्य को आकार देने में भी वह बड़ी भूमिका निभाती है। तकनीकी उपकरण सिर्फ व्यक्तिगत जिंदगी पर ही असर नहीं डालते बल्कि समाज की प्रकृति पर भी गहरी छाप छोड़ते हैं। मोबाइल और इंटरनेट इसका उदाहरण हैं। संस्कृति पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है।

यदि हमें दूसरों का दिमाग पढ़ने की प्रौद्योगिकी हासिल हो जाए तो बहुत सी स्थापित धारणाएं ध्वस्त हो जाएंगी। इस प्रकार तकनीक के नई ऊंचाइयां हासिल करने के साथ ही संस्कृति में भी बदलाव आता जाता है। तकनीक परिवर्तनशील होती है और संस्कृति की प्रकृति स्थिर है। एक स्थिर दुनिया में रहने का आग्रह तकनीक के प्रभाव को कम करता है।

Web Title: technology and nature of culture

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