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अभिलाष खांडेकर ब्लॉग: पर्यावरण को बचाने के लिए हमेशा सजग रहने की जरूरत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 5, 2023 13:02 IST

जून का महीना पिछले करीब पांच दशकों से इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने तब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाना शुरू किया था।

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ठळक मुद्देविश्व पर्यावरण दिवस को हर साल 5 जून को मनाया जाता हैयह दिन हमें अपने परिवेश- हवा, पानी, पेड़-पौधे और जलवायु की याद दिलाता है। आज का दिन सोचने का है कि हमारा कल कैसा होगा

जून का महीना भारतीयों के लिए मानसून के आगमन के रूप में अच्छी खबर लेकर आता है। बारिश की बूंदें तापमान के मिजाज को ठंडा करती हैं और यह महीना किसानों के चेहरे पर मुस्कान भी लाता है, क्योंकि बारिश की फुहारों के साथ ही उन्हें जल और खाद्य सुरक्षा के शुभ संकेत मिलने लगते हैं।

जून का महीना पिछले करीब पांच दशकों से इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने तब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाना शुरू किया था। वर्षों से यह दिन सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और पर्यावरणविदों के कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज हो गया है। यह दिन हमें अपने परिवेश- हवा, पानी, पेड़-पौधे और जलवायु की याद दिलाता है।

मुझे लगता है कि दैनिक जीवन में पर्यावरण क्षरण के वास्तविक खतरे को देखते हुए भी विश्व पर्यावरण दिवस अलग-अलग स्तर पर महज एक औपचारिकता बनकर रह गया है।

संयुक्त राष्ट्र ने 1972 में मानव पर्यावरण पर हुए सम्मेलन में, जिसे अब स्टॉकहोम सम्मेलन कहा जाता है, में निर्णय लिया था कि दुनिया भर में पर्यावरण कई खतरों का सामना कर रहा है और तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

कई दिनों तक चले इस आयोजन में विश्व के नेताओं द्वारा कई मार्गदर्शक निर्णय लिए गए जिसमें 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का निर्णय शामिल था।

हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक हमें पश्चिम ने उपहार में दिया था। भारतीयों को यह इतना पसंद आ गया कि अब उन्हें इसे छोड़ना मुश्किल लग रहा है।आज, पर्यावरण संरक्षण के उपायों और संकल्पों के बीच इस खतरनाक सामग्री को खत्म करने का भी संकल्प लेना होगा।

प्रश्न यह है कि क्या हम सभी को वास्तव में प्रत्येक जून महीने में पर्यावरण प्रदूषण की याद दिलाने की जरूरत है? प्लास्टिक प्रदूषण को हराना इस साल का विषय हो सकता है और हमें इसका पालन करना ही चाहिए, लेकिन हमें अपने दैनिक जीवन में पानी, ऊर्जा, पेड़-पौधे, कीड़े-मकोड़े, झीलों और नदियों को बचाने के बारे में भी तो सोचना चाहिए।

उपभोक्तावाद, जीवनशैली में बदलाव, फैशन, नई-नई तकनीकों का बढ़ता उपयोग पर्यावरण प्रदूषण से जूझ रही विश्व बिरादरी के सामने बड़ी गंभीर चुनौतियां हैं।

अब जबकि हम एक और विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए तैयार हैं, तो इसके 50वें वर्ष में हमें यह संकल्प लेना होगा कि प्रत्येक दिन एक ही पर्यावरण संरक्षण दिवस है! आज का दिन सोचने का है कि हमारा कल कैसा होगा। कल के अधिक प्रदूषित और जहरीले होने की प्रतीक्षा करने के बजाय, अपने प्रत्येक दिन को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लें।

टॅग्स :विश्व पर्यावरण दिवस 2020भारत
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