आप दिल्ली-मुंबई या किसी अन्य बड़े शहर-महानगर में चले जाइए. आपको वहां पर दो तरह के हालात दिखाई देंगे. इनके कुछ भागों में साफ-सफाई मिलेगी. ये एक तरह से स्वच्छता के टापू हैं. जबकि कुछ भागों में गंदगी और कूड़े के पहाड़ मिलेंगे. इन पहाड़ों में कुछ औरत-मर्द कुछ बीन रहे होते हैं. आपको राजधानी दिल्ली और मुंबई में भी कूड़े के पहाड़ मिलेंगे. इधर केंद्र सरकार की कूड़ा मुक्त शहर बनाने की कवायद के बाद एक उम्मीद अवश्य नजर आ रही है. लग रहा है देश कूड़े के ढेरों से निजात पा लेगा.
केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय का दावा है कि अंबिकापुर, राजकोट, सूरत, नवी मुंबई तथा इंदौर पूरी तरह से कूड़ा मुक्त हो चुके हैं. उसने नई दिल्ली समेत अहमदाबाद, जमशेदपुर, तिरुपति, करनाल, भिलाई, विजयवाड़ा को भी साफ-सुथरा बताया है.
एक अनुमान के मुताबिक, शहरी भारत में रोजाना 1,40,000 मीट्रिक टन कचरा पैदा हो रहा है. विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, वर्तमान समय में प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखा जाए तो हर दिन 450 ग्राम कूड़ा पैदा होता है, जिसके अगले 15-20 साल में बढ़कर हर दिन 800 ग्राम प्रति व्यक्ति होने का अनुमान है.
स्वच्छता गतिविधियों और कचरा मुक्त शहरों के लिए नागरिकों की जिम्मेदारी बढ़ाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 17 सितंबर से 2 अक्तूबर तक ‘स्वच्छ अमृत महोत्सव’ का आयोजन देश में चालू हो चुका है, जिसका उद्देश्य है कचरा मुक्त शहर.
देश के विभिन्न शहरों में स्वच्छता को लेकर जनजागरूकता और जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस महोत्सव के तहत अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को इस महोत्सव का समापन होगा.