पांच राज्यों के ताजा विधानसभा चुनाव परिणामों की विशेषता यह है कि इससे दो नई हस्तियां राष्ट्रीय मंच पर उभर कर सामने आई हैं. इनमें से एक हैं अरविंद केजरीवाल और दूसरे हैं योगी आदित्यनाथ. अरविंद केजरीवाल एक ऐसी क्षेत्रीय शक्ति की नुमाइंदगी करते हैं जो किसी जाति-धर्म की राजनीति नहीं करती और जनता के बुनियादी मुद्दों पर फोकस करती है.
वे दिल्ली में अपनी प्रशासनिक कुशलता का उदाहरण पेश कर चुके हैं, जिसे ‘दिल्ली मॉडल’ के नाम से जाना जाता है.
अब अगर वे अपने प्रशासन के दिल्ली मॉडल को पंजाब में भी लागू करके दिखाते हैं तो जनता को मोदी गवर्नेस मॉडल के मुकाबले में एक विकल्प मिल जाएगा और वह दोनों के बीच तुलना कर सकती है कि उसके लिए कौन से मॉडल का चुनाव करना बेहतर रहेगा.
इस प्रकार केजरीवाल अन्य राज्यों में भी अपने कदम बढ़ा सकते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर टीना फैक्टर (देयर इज नो अल्टरनेटिव) को खत्म कर जनता को एक विकल्प उपलब्ध करा सकते हैं.
अब बात उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों की. मुख्यमंत्री के रूप में पांच वर्ष का अपना एक कार्यकाल पूरा कर चुके योगी आदित्यनाथ ने दोबार जीत कर साबित कर दिया है कि उनके मॉडल में भी दम है.
वैसे भी भाजपा में योगी का दमदार स्थान है और यह नारा भी लगाया जाता है कि ‘ऊपर मोदी, नीचे योगी’. अब अपने नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 250 से अधिक सीटें हासिल करके योगी आदित्यनाथ ने संकेत दे दिया है कि वे ऊपर आना चाहते हैं. इस जीत से निश्चित रूप से उनका कद बढ़ा है.
आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ने का उनका ‘बाहुबली मॉडल’ कई सरकारों को लुभा सकता है जिसके जरिये वे चुनावों में एंटी इनकम्बेंसी का मुकाबला कर सकते हैं. कहा जा सकता है कि ताजा चुनाव परिणामों ने उक्त दो नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने का मौका उपलब्ध करा दिया है.