लाइव न्यूज़ :

सरदार पटेल: भारत को एक करने वाले महानायक, राजेश बादल का ब्लॉग

By राजेश बादल | Published: October 31, 2020 1:17 PM

सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसा नाम है, जिसने गोरी हुकूमत को अपने तेवरों से संकट में डाल रखा था. उनके मजबूत इरादों से बरतानवी सत्ता के आला अफसर घबराते थे. महात्मा गांधी को तो दो साल में ही जेल से छोड़ दिया गया था, मगर सरदार पटेल को उनके एक बरस बाद जून 1945 में रिहा किया गया था.

Open in App
ठळक मुद्देअंग्रेज न्यायाधीश विकेन्डेन ने सरदार पटेल के बारे में लिखा था- बेहद खतरनाक, एंटी फासिस्ट और ब्रिटिश शासन का घोर विरोधी व्यक्ति.मैं जानता हूं कि मैं इसे प्राप्त करने जा रहा हूं. ऐसे दस इंग्लैंड भारत को आजादी पाने से रोक नहीं सकते. 1946 का साल आते-आते बरतानवी सरकार के पांव उखड़ने लगे थे और हिंदुस्तान में आजादी की खुशबू आने लगी थी.

हिंदुस्तान की आजादी के आंदोलन में 1942 का साल सबसे महत्वपूर्ण है. दरअसल इसी साल छेड़े गए आंदोलन ने सुनिश्चित कर दिया था कि यह मुल्क अब गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की स्थिति में आ गया है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर छेड़े गए ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में अनेक राष्ट्रभक्तों ने अपने-अपने ढंग से इस पवित्र यज्ञ में अपनी आहुति दी थी.

इनमें सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसा नाम है, जिसने गोरी हुकूमत को अपने तेवरों से संकट में डाल रखा था. उनके मजबूत इरादों से बरतानवी सत्ता के आला अफसर घबराते थे. महात्मा गांधी को तो दो साल में ही जेल से छोड़ दिया गया था, मगर सरदार पटेल को उनके एक बरस बाद जून 1945 में रिहा किया गया था.

उनके कारागार प्रवास के दरम्यान एक अंग्रेज न्यायाधीश विकेन्डेन ने सरदार पटेल के बारे में लिखा था- बेहद खतरनाक, एंटी फासिस्ट और ब्रिटिश शासन का घोर विरोधी व्यक्ति. जब सरदार पटेल जेल से छूटे तो और सक्रि य हो गए. वे दोगुने उत्साह से आजादी के लिए जुट गए. एक सभा में उन्होंने ऐलान किया, ‘मैं आजादी चाहता हूं और मैं जानता हूं कि मैं इसे प्राप्त करने जा रहा हूं. ऐसे दस इंग्लैंड भारत को आजादी पाने से रोक नहीं सकते.’

हालांकि 1946 का साल आते-आते बरतानवी सरकार के पांव उखड़ने लगे थे और हिंदुस्तान में आजादी की खुशबू आने लगी थी. लेकिन जाते-जाते अंग्रेज चालबाजी से बाज नहीं आ रहे थे. वे मजहब के आधार पर मुल्क को बांट देना चाहते थे. मुस्लिम लीग को आजादी से पहले अलग मुल्क चाहिए था. उसके मुखिया मोहम्मद अली जिन्ना को मनाने का बहुत प्रयास किया गया, पर वे नहीं माने. देश पर बंटवारे की छुरी चल गई. सरदार पटेल जानते थे कि उन्हें शेष हिंदुस्तान की एकता के लिए बहुत कड़ा और सख्त रवैया अख्तियार करना पड़ेगा.

उनके व्यक्तित्व की इसी खासियत के कारण उन्हें लौहपुरुष कहा जाने लगा था. आजादी के चार दिन पहले ही उन्होंने एक भाषण में कहा, ‘मैं छोटे और बड़े राजाओं से कहता हूं कि जब समय आएगा तो उन्हें 15 तारीख तक भारतीय संघ में शामिल होना होगा. उसके बाद उनके साथ दूसरी तरह से व्यवहार किया जाएगा. जो रियायतें उन्हें आज दी जा रही हैं, उस तिथि के बाद नहीं दी जाएंगी. उन्हें विलय पर हस्ताक्षर करना होगा.’  सरदार पटेल के बयानों से स्पष्ट हो जाता है कि वे भारत की एकता के लिए कितने गंभीर थे. राजे-रजवाड़ों से उनका अनुरोध कागजी नहीं था.

वे ठोस कार्ययोजना के आधार पर ही आगे बढ़ रहे थे. उस समय भारत की करीब चालीस फीसदी जमीन 56 रियासतों के अधीन थी. उन्हें अंग्रेजों से अनेक मामलों में स्वायत्तता और विशेष अधिकार हासिल थे. इसलिए कई बड़ी रियासतें तो भारत और पाकिस्तान से अलग होकर अलग दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगी थीं. गांधीजी, नेहरूजी समेत सभी कांग्रेसी यह मानते थे कि किसी भी आजाद देश में असल सत्ता जनता के हाथ में होनी चाहिए, न कि किसी केंद्रीय निरंकुश शक्ति के पास. इसी आधार पर सरदार पटेल स्वप्नलोक में विचरण करने वाले राजा-महाराजाओं के प्रति बेहद कठोर रवैया अपना रहे थे.

अधिकांश रियासतों ने विलय के लिए सहमति दे दी. लेकिन कुछ रियासतें ऐसी भी थीं, जो स्वतंत्न अस्तित्व के लिए अड़ी थीं. जब सरदार पटेल को प्रधानमंत्नी नेहरू ने रियासत विभाग की जिम्मेदारी सौंपी तो उन्होंने विभागीय बैठक में साफकहा कि यदि रजवाड़ों पर शीघ्र काबू नहीं पाया तो कठिनाई से मिली आजादी रजवाड़ों के दरवाजे से निकलकर गायब हो सकती है. इसके लिए उन्होंने सारे प्रशासनिक, कूटनीतिक और आक्रामक तरीके अपनाने में संकोच नहीं किया. पहले तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक विलय का संदेश दिया.

रियासतों को विदेश, रक्षा और संचार जैसे मामले भारत सरकार के नियंत्नण में रखने के लिए तैयार किया तो दूसरी तरफरियासतों में जनआंदोलनों के प्रति भी नरमी दिखाई. वास्तव में यह आंदोलन कांग्रेस की ओर से छेड़े जा रहे थे. आजादी के दिन तक केवल जूनागढ़, जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद रियासतों ने अपनी जिद नहीं छोड़ी थी. मगर अगले डेढ़ साल में उन्होंने भी सरदार पटेल का कोपभाजन बनने से बेहतर आत्मसमर्पण करना समझा. जूनागढ़ के नवाब ने तो पाकिस्तान में विलय का ऐलान कर दिया था. पर जनता भड़क उठी.

इसके बाद जनमत संग्रह हुआ. यह भारत के पक्ष में गया. इसी तरह हैदराबाद का निजाम भी एक तरफ भारत से संधि का नाटक करता रहा, दूसरी ओर सैनिक क्षमता बढ़ाने की साजिश रचता रहा. सरदार पटेल ने उसे भी फुस्स कर दिया.

सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने हैदराबाद में प्रवेश किया. तीन दिन घेराबंदी और संघर्ष के बाद निजाम ने घुटने टेक दिए. इसके बाद चंद छोटी रियासतें ही शेष थीं. पटेल की भृकुटि तनी तो वे भी भारत का हिस्सा बन गईं.  लौहपुरुष का काम एक तरह से पूरा हो चुका था और वे दिसंबर 1950 में अनंत यात्ना पर चले गए.

टॅग्स :वल्लभभाई पटेलजवाहरलाल नेहरूपाकिस्तानब्रिटेनमहात्मा गाँधी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: शिरोमणि अकाली दल ने 'ऐलान-नामा' में कहा, "पाकिस्तान से करतारपुर साहिब को वापस लेंगे"

ज़रा हटकेviral video: उबर ड्राइवर ने महिला से कहा- 'पाकिस्तान में होते तो अपहरण कर लेता', फिर क्या हुआ...देखें

विश्वKyrgyzstan: पाकिस्तानी छात्रों पर हुए हमले के बाद भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी की, छात्रों को बाहर ना निकलने की सलाह

विश्वUK PM Rishi Sunak-Akshata Murthy Rich List: कुल संपति 65.1 करोड़ पाउंड, 245वें स्थान पर, ब्रिटेन पीएम सुनक और पत्नी अक्षता और आगे बढ़े, देखें टॉप-5 लिस्ट

भारतLok Sabha Elections 2024: "मैं धर्म के आधार पर आरक्षण की इजाजत नहीं दूंगा, कांग्रेस पहले ही धर्म के आधार पर देश को बांट चुकी है", नरेंद्र मोदी का कांग्रेस पर हमला

भारत अधिक खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: 'कांग्रेस देश में धार्मिक आधार पर आरक्षण का समर्थन नहीं करती है', जयराम रमेश ने किया दावा

भारत20 मई से संसद की सुरक्षा पूरी तरह होगी CISF के हवाले होगी, 3,317 जवान रहेंगे मुस्तैद, 'ब्लैक कैट' कमांडो के साथ प्रशिक्षण लिया

भारतLok Sabha Elections 2024: पीएम मोदी ने टीएमसी पर संदेशखाली महिलाओं के चरित्र पर सवाल उठाने का आरोप लगाया

भारतझारखंड दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर साधा जमकर निशाना, कहा- इन्होंने भ्रष्टाचार से नोटों के अंबार खड़े किए

भारतBihar LS Elections 2024: मोदी के बिहार दौरे पर लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने कसा तंज, कहा-प्रधानमंत्री को लालू यादव से मोह