दुनिया की आबादी तीव्र गति से बढ़ने के साथ-साथ विश्व में भूख की समस्या भी बढ़ती जा रही है। कई ऐसे राष्ट्र हैं, जो इस समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं। विश्वभर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें पेट भरने को दो समय का भोजन तक नसीब नहीं होता। बहुत सारे लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें जिंदा रहने के लिए भी पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा। पोषित और पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाने के कारण दुनिया की बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार हो रही है।
भोजन को एक बुनियादी और मौलिक मानवाधिकार माना गया है लेकिन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी विडंबना है कि खाने की कमी और कुपोषण के ही कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग जान गंवा देते हैं। हवा और पानी के बाद तीसरी सबसे बुनियादी मानवीय जरूरत हर किसी को पर्याप्त भोजन का अधिकार ही है। चिंताजनक स्थिति है कि दुनियाभर के किसान वैश्विक आबादी से ज्यादा लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन पैदा करते हैं, फिर भी भूख बनी रहती है।वैश्विक भुखमरी को खत्म करने और सभी लोगों को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष 16 अक्तूबर को ‘विश्व खाद्य दिवस’ मनाया जाता है।
दुनिया के करीब 150 सदस्य देश मिलकर यह दिवस मनाते हैं और संयुक्त राष्ट्र के कैलेंडर में सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला दिवस भी यही है। यह दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक भुखमरी से निपटना और पूरी दुनिया से उसे जड़ से खत्म करना है ताकि दुनिया का कोई भी इंसान भूखा और कुपोषित न रहे। संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (एफएओ) की स्थापना 16 अक्तूबर 1945 को कनाडा के क्यूबेक नगर में हुई थी और 1951 में इसका मुख्यालय वाशिंगटन से रोम स्थानांतरित किया गया था। वर्तमान में दुनियाभर के 191 राष्ट्र इसके सदस्य हैं।
एफएओ की स्थापना की वर्षगांठ के अवसर पर ही प्रतिवर्ष 16 अक्तूबर को ‘विश्व खाद्य दिवस’ मनाया जाता है. विश्व खाद्य दिवस 2024 का विषय है ‘बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार’, जो सभी के लिए विविध, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। आज दुनिया में करोड़ों लोग भूख से पीड़ित हैं और स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। एफएओ के मुताबिक विश्व में 2.8 अरब से भी ज्यादा लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं।