रमेश ठाकुर का ब्लॉग: भारत में ऑटोमेटेड खेती का भविष्य
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 4, 2019 07:21 IST2019-10-04T07:21:05+5:302019-10-04T07:21:05+5:30
युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही. खेती छोड़कर वह दूसरे कामधंधों में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. इस लिहाज से हमारी पारंपरिक खेती ऑटोमेटेड की तरफ बढ़ जाएगी.

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
भारत में सदियों से देशी तरीके से की जाने वाली पारंपरिक खेतीबाड़ी का युग अंतिम दौर में है. खेती-किसानी में अब किसान बैलगाड़ी, लकड़ी से बने हल, बैल व अन्य जानवरों का इस्तेमाल नहीं करते. उनकी जगह मशीनों ने ले ली है. खेती के लिए नए युग का आगाज हो चुका है. चीन जैसा देश धीरे-धीरे ऑटोमेटेड खेती की तरफ बढ़ रहा है. देखा-देखी दूसरे मुल्कों में भी यह प्रचलन शुरू हुआ है. अमेरिका और कनाडा में भी स्वचालित कृषियुक्त मशीनों का प्रयोग होने लगा है.
ऑटोमेटेड खेती का तात्पर्य अति-आधुनिक मशीनों से है. चीन में बिना ड्राइवर मशीनों से फसलें बोई और काटी जानी शुरू हो गई हैं. कुल मिलाकर मौजूदा समय में खेतीबाड़ी में विज्ञान की नई-नई खोजों का प्रयोग किया जाने लगा है. भारत में ऑटोमेटेड खेती का प्रचलन क्यों बढ़ सकता है इस थ्योरी को आसानी से समझा जा सकता है. दरअसल, भारत में खेती लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है. यही वजह है कि किसानों का खेतीबाड़ी से मोहभंग हो रहा है.
युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही. खेती छोड़कर वह दूसरे कामधंधों में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. इस लिहाज से हमारी पारंपरिक खेती ऑटोमेटेड की तरफ बढ़ जाएगी. हालांकि हमारे देश के मुकाबले चीन का कृषि क्षेत्र विशाल है. वहां ऑटोमेटेड यानी चालक रहित मशीनें सभी प्रमुख फसलों जैसे धान, गेहूं, मक्का, गन्ना आदि काटने और बोने में प्रयोग होने लग गई हैं. जबकि भारत में ऑटोमेटेड खेती का प्रचलन उतना आसान नहीं होगा, इसके कई कारण हैं. भारत में खेतों का आकार लगातार सीमित हो रहा है. ऑटोमेटेड युक्त बिना चालक के ट्रैक्टर छोटे खेतों में फिट नहीं बैठेंगे.
ऑटोमेटेड मशीनों के लिए कई गुना बड़े खेत होने चाहिए, इसलिए बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर यहां सफल नहीं हो पाएंगे. दूसरा कारण यह भी है कि बिना ड्राइवर के ट्रैक्टरों की कीमत पचास लाख रुपए से भी ज्यादा बताई जा रही है, जो आम किसानों की पहुंच से दूर रहेगी.
सरकार को ऑटोमेटेड खेती लागू करने से पहले ऐसी खेती के लिए माहौल बनाना होगा. फसल के मूल्य का उचित दाम समय पर मुहैया कराने की व्यवस्था करनी होगी. तभी ऑटोमेटेड खेती की कल्पना की जा सकेगी.