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बदला-बदला सा रक्षाबंधन का त्योहार- पीयूष पांडे का ब्लॉग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 1, 2020 17:52 IST

राखी के वक्त ‘बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है.’ एफएम रेडियो पर ये गाना सुनाई देने पर अहसास होता है कि रक्षाबंधन का त्यौहार आ गया है, अन्यथा रक्षाबंधन में पहले सा रोमांच नहीं रहा.

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ठळक मुद्देएक जमाना था, जब मुहल्ले का कोई लड़का किसी लड़की को ज्यादा घूरा करता था तो घरवाले उसे पकड़कर लड़की से राखी बंधवा देते थे.लड़की के समस्त प्रेमीगण भी सबसे सशक्त दावेदार का काम तमाम करने के लिए राखी रूपी मिसाइल का सहारा लिया करते थे. मुंहबोले भाई लड़की के विवाह में सिलेंडर उठाने अथवा टेंट लगवाने का काम करते पाए जाते थे.

जिस तरह बरसात में मेंढक और चुनाव के वक्त कई नेता अचानक अवतरित होते हैं, उसी तरह त्योहार के समय कई गाने अचानक सुनाई देने लगते हैं. जैसे, राखी के वक्त ‘बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है.’ एफएम रेडियो पर ये गाना सुनाई देने पर अहसास होता है कि रक्षाबंधन का त्यौहार आ गया है, अन्यथा रक्षाबंधन में पहले सा रोमांच नहीं रहा.

रक्षाबंधन का कांसेप्ट अब बहुत कन्फ्यूजिंग हो गया है. एक जमाना था, जब मुहल्ले का कोई लड़का किसी लड़की को ज्यादा घूरा करता था तो घरवाले उसे पकड़कर लड़की से राखी बंधवा देते थे. लड़की के समस्त प्रेमीगण भी सबसे सशक्त दावेदार का काम तमाम करने के लिए राखी रूपी मिसाइल का सहारा लिया करते थे.

उस जमाने में ‘नैतिकता’ नाम की चिड़िया लुप्त घोषित नहीं हुई थी, लिहाजा एक पतली रेशम की डोर भी असरदार काम किया करती थी और ऐसे मुंहबोले भाई लड़की के विवाह में सिलेंडर उठाने अथवा टेंट लगवाने का काम करते पाए जाते थे. लेकिन अब घूरना, परेशान करना, प्यार करना सब आनलाइन हो लिया है.

फिर, लड़कियां खुद जूडो-कराटे वगैरह सीखकर इतनी सशक्त हो गई हैं कि खुद लड़कों को ठोंक पीटकर घर लौटती हैं. कई लड़कियां अब अच्छा खासा कमाती हैं और निठल्ले भाइयों का खर्च उठाकर उनकी बाप की पिटाई से रक्षा करती हैं. ऐसे में रक्षाबंधन पर उलझन होती है कि कौन किसे राखी बांधे?

ये उलझन पूरे समाज की है कि कौन किसकी रक्षा कर रहा है? भ्रष्ट नेता से जनता परेशान रहती है, लेकिन चुनाव के वक्त उसे ही जिताकर उसकी रक्षा करती है. दंगों के वक्त जिन दंगाइयों से लोग अपनी रक्षा करते हैं, पुलिस आने पर उसकी रक्षा करने स्थानीय नेता आ जाता है.

बरसात में गड्ढे भरने के पैसे लेकर कभी गड्ढे न भरने वाले ठेकेदारों की रक्षा महानगर पालिका के अधिकारी करते हैं और उन भ्रष्ट अधिकारियों की रक्षा इलाके के विधायक-सांसद. विकास दुबे जैसे गुंडों की रक्षा पुलिस करती है, और कई मौकों पर पुलिस की रक्षा गुंडे करते दिखते हैं.

पार्टी तोड़ने की हिम्मत करने वाले बागी नेता की रक्षा करने राज्यपाल उतर आते हैं, और सरकार अपने विधायकों की रक्षा करने के लिए उन्हें लेकर रिजॉर्ट पहुंच जाती है. हद ये कि रक्षा का यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. जिस दाऊद को भारत आतंकवादी मानता है, उसे पाकिस्तान सरकार ने राखी बांधी  हुई है. इमरान को तो जिनपिंग ने चीनी राखी बांधी है, जिसकी गारंटी किसी के पास नहीं. मामला उलझाऊ है.

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