इन दिनों प्रकाशित हो रही भारत के विकास से संबंधित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन रिपोर्ट और विचार मंथनों में भारत में शोध और नवाचार की अहमियत प्रस्तुत की जा रही है। कहा जा रहा है कि भारत में स्वास्थ्य, उद्योग, कारोबार, कृषि, संचार, रक्षा, शिक्षा, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में विकास के परिप्रेक्ष्य में शोध और नवाचार की प्रमुख भूमिका है तथा भारत को विकसित बनाने में भी शोध और नवाचार में और तेजी से आगे बढ़ना होगा।
हाल ही में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2024 की रैंकिंग में 133 अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने 39वां स्थान हासिल किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि जो भारत जीआईआई रैंकिंग में 2015 में 81वें स्थान पर था, अब वह 39वें स्थान पर पहुंच गया है। जीआईआई रैंकिंग में भारत की प्रगति दुनियाभर में रेखांकित हो रही है।
इस ऊंची रैंकिंग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वाइब्रेंट इनोवेटिव इकोसिस्टम की उपलब्धि बताया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक कृषि के क्षेत्र में शोध और नवाचार कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ा रहा है।
गौरतलब है कि जीआईआई 2024 के तहत भारत निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है. भारत मध्य और दक्षिणी एशिया क्षेत्र की 10 अर्थव्यवस्थाओं में भी पहले स्थान पर है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) क्लस्टर रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। निस्संदेह शोध एवं नवाचार तथा बौद्धिक संपदा की दुनिया में भारत की रैंकिंग यह दर्शा रही है कि भारत इनोवेशन का हब बनता जा रहा है। भारत में शोध एवं नवाचार को बढ़ाने में डिजिटल ढांचे और डिजिटल सुविधाओं की भी अहम भूमिका है।
भारत आईटी सेवा निर्यात और वेंचर कैपिटल हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार करने में भी भारत दुनिया में सबसे आगे है. भारत के उद्योग-कारोबार तेजी से समय के साथ आधुनिक हो रहे हैं।
हम उम्मीद करें कि सरकार डब्ल्यूआईपीओ के द्वारा प्रकाशित जीआईआई 2024 के तहत प्राप्त 39वीं रैंकिंग को और ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी। साथ ही देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा देश के तेज विकास और आम आदमी के कल्याण के मद्देनजर दुनिया के विभिन्न विकसित देशों की तरह भारत में भी बौद्धिक समझ, शोध एवं नवाचार पर अधिक धनराशि व्यय करने की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा। इससे जहां ब्रांड इंडिया और मेड इन इंडिया की वैश्विक स्वीकार्यता सुनिश्चित हो सकेगी, वहीं स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, कारोबार, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, संचार, अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश तेजी से आगे बढ़ते दिख सकेगा।