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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: साहसी पत्रकारिता का सम्मान

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 11, 2021 11:46 IST

भारत समेत दुनिया के कई देशों में ऐसे निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार अभी भी कई हैं, जो नोबल पुरस्कार से भी बड़े सम्मान के पात्र हैं। उक्त दो पत्रकारों का सम्मान ऐसे सभी पत्रकारों का हौसला जरूर बढ़ाएगा।

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ठळक मुद्देविश्व प्रेस आजादी तालिका’ के 180 देशों में फिलीपींस का स्थान 138 वां है और भारत का 142 वांपत्रकारिता की आजादी के हिसाब से रूस का स्थान दुनिया में 150 वां है।

फिलीपींस की महिला पत्रकार मारिया रेसा और रूस के पत्नकार दिमित्री मोरातोव को नोबल पुरस्कार देने से नोबल कमेटी की प्रतिष्ठा बढ़ गई है, क्योंकि आज की दुनिया अभिव्यक्ति के भयंकर संकट से गुजर रही है।‘विश्व प्रेस आजादी तालिका’ के 180 देशों में फिलीपींस का स्थान 138 वां है और भारत का 142 वां! यदि पत्रकारिता किसी देश की इतनी फिसड्डी हो तो उसके लोकतंत्र का हाल क्या होगा? 

लोकतंत्र के तीन खंभे बताए जाते हैं -विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका! मेरी राय में एक चौथा खंभा भी है। इसका नाम है-खबरपालिका, जो सबकी खबर ले और सबको खबर दे। पहले तीन खंभों के मुकाबले यह खंभा ज्यादा मजबूत है। हर शासक की कोशिश होती है कि इस खंभे को खोखला कर दिया जाए। लेकिन पत्रकारिता ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे लोकतांत्रिक देशों में भी उनके राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दम फुला रखे हैं। यही काम मारिया ने फिलीपींस में और मोरातोव ने रूस में कर दिखाया है।

फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिग्गो दुतेर्ते ने मादक-द्रव्यों के विरुद्ध ऐसा जानलेवा अभियान चलाया कि उसके कारण सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए और जेलों में ठूंस दिए गए. इस नृशंस अत्याचार के खिलाफ मारिया ने अपने डिजिटल मंच ‘रेपलर’ से राष्ट्रपति की हवा खिसका दी थी। राष्ट्रपति ने मारिया के विरुद्ध भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया और उनकी हत्या की भी धमकी दी थी लेकिन वे अपनी टेक पर डटी रहीं। इसी प्रकार मोरातोव ने अपने अखबार ‘नोवाया गज्येता’ के जरिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अत्याचारों की पोल खोलकर रख दी।

पत्रकारिता की आजादी के हिसाब से रूस का स्थान दुनिया में 150 वां है। ऐसी दमघोंटू दशा में भी मोरातोव ने ‘नोवाया गज्येता’ के जरिए पुतिन की गद्दी हिला रखी थी। सरकारी भ्रष्टाचार और चेचन्या में किए गए पाशविक अत्याचारों की खबरें मोरातोव और उनके साथियों ने उजागर कीं। उनके छह साथी पत्रकारों को इसीलिए मौत के घाट उतरना पड़ा। इसीलिए नोबल पुरस्कार स्वीकार करते हुए उन्होंने इन छह साथी पत्रकारों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह पुरस्कार उन्हीं को समर्पित है।

भारत समेत दुनिया के कई देशों में ऐसे निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार अभी भी कई हैं, जो नोबल पुरस्कार से भी बड़े सम्मान के पात्र हैं। उक्त दो पत्रकारों का सम्मान ऐसे सभी पत्रकारों का हौसला जरूर बढ़ाएगा। मारिया और मोरातोव को बधाई!

टॅग्स :नोबेल पुरस्कारभारतरूसफिलीपींस
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