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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारत के लिए खिलौना उद्योग में छिपी हैं बड़ी संभावनाएं

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: March 20, 2021 12:29 IST

भारत अपने खिलौनों की मांग का करीब 85 फीसदी आयात करता है. इस समय भारत में खिलौना बाजार लगभग 12818 करोड़ रुपए का है. ऐसे में सामने बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं।

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पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले ‘खिलौना मेला 2021’ का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए कहा कि खिलौना उद्योग का रणनीतिक विकास करके देश न केवल खिलौना उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है, वरन वैश्विक बाजार की जरूरतों को पूरा करने की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ सकता है.

वस्तुत: खिलौना मेले के जरिए छात्रों, शिक्षकों, खरीददारों, विक्रेताओं, डिजाइनरों उत्पादकों, सरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों को एक मंच पर लाया गया है. अब वे खिलौनों के डिजाइन, नवाचार, प्रौद्योगिकी से लेकर पैकेजिंग तक पर विचार मंथन करके खिलौनों के उत्पादन और एक्सपोर्ट के लिए भारत को प्रभावी केंद्र बनाने की नई रणनीति बनाएंगे.

भारत आयात करता है 85 प्रतिशत खिलौने

गौरतलब है कि इस समय वैश्विक खिलौना बाजार में भारत का हिस्सा बहुत कम है, लेकिन अब भारतीय खिलौना बाजार के तेजी से बढ़ने का नया परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. भारत अपने खिलौनों की मांग का करीब 85 फीसदी आयात करता है. 

द इंटरनेशनल मार्केट एनालिसिस रिसर्च एंड कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय भारत में खिलौना बाजार लगभग 12818 करोड़ रुपए का है, यह वर्ष 2024 तक तेजी से बढ़कर 24171 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है. 

इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खिलौना बाजार में आयातित खिलौनों में से लगभग 70 प्रतिशत खिलौने चीन से आयातित होते हैं.

वस्तुत: पिछले वर्ष 2020 में कोरोना संकट की चुनौतियों के बीच सरकार वोकल फॉर लोकल व आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत खिलौना उद्योग को अधिकतम प्रोत्साहन देने तथा खिलौना बाजार से चीन के खिलौनों को हटाने की रणनीति के साथ आगे बढ़ी है. 

अब देश का खिलौना उद्योग सरकार की प्राथमिकता में आ गया है, जो देश के खिलौना उद्योग कारोबार के लिए एक शुभ संकेत है. सरकार की रणनीति है कि सिर्फ घरेलू बाजार में ही नहीं, दुनिया के खिलौना बाजार में भी भारतीय खिलौनों की छाप दिखाई दे. 

खिलौना मैन्युफैक्चर्स से कहा गया है कि वे ऐसे खिलौने बनाएं जिसमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की झलक हो और उन खिलौनों को देख दुनिया वाले भारतीय संस्कृति, पर्यावरण के प्रति भारत की गंभीरता और भारतीय मूल्यों को समझ सकें.

नि:संदेह सरकार देश में खिलौना उद्योग को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहित कर रही है. सरकार ने खिलौना उद्योग को देश के 24 प्रमुख सेक्टर में स्थान दिया है.

सरकार खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने में जुटी

केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा स्थानीय खिलौना उद्योग को भारी प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं. पिछले वर्ष फरवरी 2020 में खिलौना आयात के शुल्क में 200 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है. इसके अलावा एक सितंबर 2020 से आयात किए जाने वाले खिलौनों के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मापदंड लागू कर दिए गए हैं.

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सरकार के द्वारा खिलौनों पर लगाए गए आयात प्रतिबंधों से चीनी खिलौनों की आवक बहुत थम गई है. इसका फायदा जहां एक ओर खिलौनों के स्थानीय व्यापारियों को मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर खिलौना उद्योग में रोजगार और स्वरोजगार संबंधी विभिन्न अवसर बढ़ गए हैं. 

देश के कोने-कोने में कहीं भी सॉफ्ट टॉय मेकिंग को स्वरोजगार के रूप में सरलता से शुरू किया जा रहा है. ऐसे में जहां बड़े पैमाने पर किए जा रहे खिलौनों के आयात पर खर्च हो रही विदेशी मुद्रा में भी कमी आ सकेगी, वहीं खिलौनों के वैश्विक बाजार में निर्यात बढ़ाकर विदेशी मुद्रा की नई कमाई बढ़ाई जा सकेगी.

लेकिन अब देश के खिलौना सेक्टर को चमकीली ऊंचाई देने के लिए खिलौना क्षेत्र के तहत लंबे समय से चल आ रही विभिन्न बाधाओं को हटाया जाना जरूरी है. भारतीय खिलौनों के क्षेत्र में अपेक्षित विकास हेतु खिलौना उद्योग की समस्याओं के समाधानों के लिए कोई उपयुक्त लाभप्रद नीति शीघ्रतापूर्वक तैयार की जाना होगी. 

खिलौना उद्योग से संबंधित विभिन्न एजेंसियों के बीच खिलौना उद्योग के विकास के लिए उपयुक्त तालमेल बनाया जाना होगा. चूंकि खिलौना निर्माण इकाई के लिए न केवल उत्पादन के लिए बल्कि तैयार उत्पादों के भंडारण और इसकी पैकिंग के लिए पर्याप्त भूमि की जरूरत होती है, अतएव खिलौना उद्योग के लिए भूमि संबंधी जरूरत की उपयुक्त पूर्ति करनी होगी.

कारीगरों के कौशल प्रशिक्षण के लिए काम करने की जरूरत

इसी तरह देश के खिलौना उद्योग में डिजाइन और इनोवेशन की कमी को दूर करना होगा. साथ ही देश में सुगठित खिलौना डिजाइन संस्थान की स्थापना को मूर्तरूप देना होगा. 

इससे गुणवत्तापूर्ण खिलौना उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सकेगा. इसके अलावा खिलौना उद्योग के लिए बैंकों से ऋण तथा वित्तीय सहायता संबंधी बाधाओं को दूर करना होगा. खिलौना उद्योग को जीएसटी संबंधी मुश्किलों से भी राहत दी जानी होगी. 

इन विभिन्न बाधाओं के निराकरण से भारत में खिलौना उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा. हम उम्मीद करें कि सरकार देश को खिलौनों का वैश्विक हब बनाने और खिलौनों के वैश्विक बाजार में चीन को टक्कर देने की रणनीति को शीघ्र आकार देने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी. 

सरकार खिलौना बनाने वाले कारीगरों के कौशल प्रशिक्षण को उच्च प्राथमिकता देगी ताकि नए आइडिया और सृजनात्मक तरीके से गुणवत्तापूर्ण खिलौनों का निर्माण हो सकेगा. साथ ही खिलौना निर्माण के वैश्विक मानकों को भी पूरा किया जा सकेगा.

टॅग्स :नरेंद्र मोदीचीनबिजनेस
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