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मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की पहल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 30, 2025 06:21 IST

वक्फ-अलल-औलाद में नई व्यवस्था के तहत अब महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की गई है.

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विजया रहाटकर

भारत में महिला सशक्तिकरण केवल एक सामाजिक पहल नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव है. पिछले लगभग एक दशक से महिलाओं को उनके अधिकार, सम्मान और हिस्सेदारी दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. इसी दिशा में हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. नैतिकता, ऐतिहासिकता और वैधानिकता के सभी मानकों पर खरा उतरते हुए यह अधिनियम न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा, बल्कि मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी सशक्तिकरण का भी मार्ग प्रशस्त करेगा.

भारत में वक्फ के पास लाखों एकड़ भूमि होने के बावजूद मुस्लिम महिलाओं के लिए शिक्षा, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के कल्याण या अनाथ बच्चों की देखभाल हेतु कोई ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई थी. यह अधिनियम इन सभी कमियों को दूर करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.

निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी

पहली बार राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो मुस्लिम महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की गई है. यह नारी भागीदारी की दिशा में ऐतिहासिक पहल है. अब महिलाओं का अनुभव और उनकी प्राथमिकताएं भी नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, जिससे समाज में उनकी स्थिति सुदृढ़ होगी.

महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा

वक्फ-अलल-औलाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें संपत्ति को परिवार के लिए समर्पित किया जाता है. पहले, इस व्यवस्था में कई बार महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की अनदेखी होती थी, सिर्फ घर के पुरुषों को ही उत्तराधिकार का लाभ मिलता था. वक्फ-अलल-औलाद में नई व्यवस्था के तहत अब महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की गई है. संशोधित अधिनियम महिलाओं को भी पारिवारिक संपत्ति में उनका उचित अधिकार दिलाता है, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती मिलेगी.  

वंचितों के लिए आर्थिक सहायता

अब वक्फ की आय का उपयोग विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों के कल्याण हेतु भी किया जा सकेगा. इससे उन्हें आवश्यक आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त होगी.

पारदर्शिता और तकनीकी सशक्तिकरण

डिजिटल तकनीकों के उपयोग और ऑनलाइन पोर्टलों की स्थापना से महिलाएं अपनी संपत्तियों और कानूनी अधिकारों से जुड़ी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगी. यह पहल उन्हें जागरूक और आत्मनिर्भर बनाएगी.

विभिन्न मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व

यह अधिनियम शिया, सुन्नी, बोहरा, आगा खानी सहित सभी मुस्लिम समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करता है, जिससे विविधता और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा.

शिक्षा और स्वास्थ्य तक व्यापक पहुंच

वक्फ संपत्तियों के समुचित उपयोग से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ेगा, विशेषकर गरीब व वंचित मुसलमानों को लाभ मिलेगा.

कानूनी सहायता और सामाजिक कल्याण

नया अधिनियम कौशल विकास, माइक्रोफाइनेंस, व्यावसायिक शिक्षा, विधवा पेंशन और मुफ्त कानूनी सहायता जैसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का भी विस्तार करेगा. महिलाओं को उत्तराधिकार, पारिवारिक विवादों और घरेलू हिंसा जैसे मामलों में आवश्यक कानूनी  सहायता मिल सकेगी.

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 न्याय, समानता और भागीदारी के आदर्शों को सशक्त करता है. यह केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि मुस्लिम महिलाओं के सम्मानजनक व सुरक्षित जीवन की दिशा में ठोस कदम है.  

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