India–Pakistan border: बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिल्कुल सही कटाक्ष किया है कि पाकिस्तान अगर अच्छे संबंध रखता तो जितना वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मांग रहा है उससे कहीं ज्यादा तो उसे भारत दे देता. कश्मीर के बांदीपुरा जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद की फैक्टरी चलाने के लिए दूसरे देशों से धन मांगता है. दरअसल पाकिस्तान जहां आतंकवाद को पालने-पोसने में पैसा बहा रहा है, वहीं भारत विकास कार्यों पर खर्च कर रहा है.
जैसा कि रक्षा मंत्री सिंह ने बताया, प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014-15 में जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी जो अब 90,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. यह राशि पाकिस्तान द्वारा आईएमएफ से राहत पैकेज के रूप में मांगी गई राशि से भी ज्यादा है. जाहिर है कि जब एक राज्य के विकास के लिए भारत इतनी राशि खर्च कर रहा है तो पूरे देश के विकास पर खर्च होने वाली राशि कितनी ज्यादा होगी. पाकिस्तान का यह दुर्भाग्य रहा है कि लोकतंत्र वहां कभी मजबूत हो ही नहीं पाया.
सेना वहां शुरू से ही हावी रही है और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी पूरी शक्ति भारत को नुकसान पहुंचाने पर ही खर्च करती है. जब कभी कोई वहां लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करता है, जैसा कि हाल में इमरान खान ने किया तो उसे जेल में डाल दिया जाता है. दुनिया में दरअसल दो तरह की तानाशाही है, एक तो वे देश जहां सीधे तौर पर कोई तानाशाह शासन करता है.
जैसे कि उत्तर कोरिया में किम जोंग-उन, और दूसरे ऐसे देश जहां मुखौटा लगाकर तानाशाह शासन करते हैं, जैसे कि पाकिस्तान. कहने को तो हमारे इस पड़ोसी देश में इस समय शहबाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार है लेकिन सब जानते हैं कि वह सेना की कठपुतली है. चूंकि सेना द्वारा वहां सीधे शासन करने पर दुनिया में उसकी बदनामी होती है, इसलिए अब सेना वहां मुखौटा लगाकर शासन करती है.
भारत इतना विशाल देश है और उसके पास इतने व्यापक संसाधन हैं कि अपने इस पड़ोसी देश की थोड़ी मदद कर देने पर हमारा तो कुछ नहीं घटेगा लेकिन पाकिस्तान का बहुत भला हो जाएगा. इसलिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बात तो बिल्कुल सही कही है, लेकिन पाकिस्तान को अक्ल आए तब तो! आतंकवाद को शह देने का रवैया वह छोड़ दे तो दुनिया भर में भीख का कटोरा लेकर घूमने की उसे जरूरत ही नहीं पड़ेगी, उसके जैसे छोटे से देश को खुशहाल बनाने के लिए अकेला भारत ही पर्याप्त होगा.