पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो बेपानी हो जाएगा देश

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: March 22, 2025 08:09 IST2025-03-22T08:08:55+5:302025-03-22T08:09:52+5:30

ब्रश करते समय नल खुला रह गया है तो पांच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बर्बाद होता है

If the wastage of water is not stopped then the country will become waterless | पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो बेपानी हो जाएगा देश

पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो बेपानी हो जाएगा देश

भारत में जिस साल अल्प वर्षा होती है, उस साल भी इतनी कृपा बरसती है कि सारे देश की जरूरत पूरी हो सकती है लेकिन हमारी असली समस्या बरसात की हर बूंद को रोक रखने के लिए हमारे पुरखों द्वारा बनाए तालाब-बावड़ी या नदियों की दुर्गति करना है. बारिश का कुछ हिस्सा तो भाप बनकर उड़ जाता है और कुछ समुद्र में चला जाता है. हम यह भूल जाते हैं कि प्रकृति जीवनदायी संपदा यानी पानी हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है और इस चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है.

इस चक्र के थमने का अर्थ है हमारी जिंदगी का थम जाना. प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं उसे वापस भी हमें ही लौटाना होता है.

पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं जिसे जानकर लगेगा कि सचमुच अब हममें थोड़ा-सा भी पानी नहीं बचा है. कुछ तथ्य इस प्रकार हैं- मुंबई में रोज गाड़ियां धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइपलाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण 17 से 44 प्रतिशत पानी प्रतिदिन बेकार बह जाता है.

ब्रह्मपुत्र नदी का प्रतिदिन 2.16 घन मीटर पानी बंगाल की खाड़ी में चला जाता है. भारत में हर वर्ष बाढ़ के कारण हजारों मौतें व अरबों रु. का नुकसान होता है.

इजराइल में औसत बारिश 10 सेंटीमीटर है, इसके बावजूद वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात करता है. दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद सिंचाई के लिए जरूरी जल की कमी बनी रहती है.

कई क्षेत्रों में औरतें पीने का पानी लाने के लिए हर रोज औसतन चार मील पैदल चलती हैं. पानीजन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है. पूरी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलोलीटर पानी है. इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है जो कि खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है. बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुआं, झरना और झीलों में है जो पीने के लायक है.

इस एक प्रतिशत पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योगों में खपत होता है. बाकी का 40वां हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं. यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है तो पांच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बर्बाद होता है. बॉथ टब में नहाते समय धनिक वर्ग 300 से 500 लीटर पानी गटर में बहा देते हैं.

मध्यम वर्ग भी इस मामले में पीछे नहीं हैं जो नहाते समय 100 से 150  लीटर पानी बर्बाद कर देता है. हमारे समाज में पानी बर्बाद करने की राजसी प्रवृत्ति है जिस पर अभी तक अंकुश लगाने की कोई कोशिश नहीं हुई है.

यदि अभी पानी को सहेजने और किफायती इस्तेमाल पर काम नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब सरकार की हर घर नल जैसी योजनाएं जल-स्रोत न होने के कारण रीती दिखेंगी.  

Web Title: If the wastage of water is not stopped then the country will become waterless

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