खेतों की सिंचाई के पारंपरिक तरीकों में पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है, जबकि अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके उससे कई गुना कम पानी में भी फसल ली जा सकती है। सबसे चिंताजनक पहलू है बारिश के पानी का संपूर्ण उपयोग न हो पाना। ...
तकनीक के माध्यम से प्रत्येक विभाग में डेटा एकत्र किया जाएगा और जल स्रोतों का मानचित्रण किया जाएगा। बाद में यह तय किया जाएगा कि जल एवं जल स्रोतों को सर्वोत्तम तरीके से कैसे युक्तिसंगत बनाया जाए। ...
केपटाउन जैसी स्थिति एशिया तथा अफ्रीका के कई देशों में निकट भविष्य में पैदा हो सकती है। हम अपने देश को ही लें। आजादी के 76 वर्ष बाद भी देश की आबादी का बड़ा हिस्सा स्वच्छ पेयजल आपूर्ति से वंचित है। 24 घंटे जलापूर्ति का स्वप्न तो शायद ही कभी साकार हो सक ...
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने योजना की जानकारी देते हुए कहा, "इन एटीएम के जरिए राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों को आरओ शोधित स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। पहले चरण में कुल 500 एटीएम लगाने की योजना है। ये एटीएम उन झुग्गी-बस्ती वाले क्षेत्रों में लगाए ...
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार वैश्विक आबादी का लगभग 57 प्रतिशत हिस्सा 2050 तक हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी का सामना करेगा। यानी कि इससे दुनिया भर में पांच अरब लोग प्रभावित होंगे। ...
स्टॉकहोम जल पुरस्कार के विजेता राजेंद्र सिंह अलवर के तरुण भारत संघ से जब जुड़े उस समय यह संगठन कैंपस में आग के शिकार लोगों की मदद के लिए बनाया गया था। 1984 में संघ का भार पूरी तरह से सिंह के कंधों पर आ गया और यह उनके जीवन का प्रमुख मोड़ था जहां से पर ...