एक समय था, जब दिल्ली को भारत का दिल कहा जाता था. पर आज यह दिल हांफ रहा है. प्रदूषण ने दिल्ली ही नहीं देश के और भी कई बड़े शहरों को गैस चेंबरों में तब्दील कर दिया है. अब हर व्यक्ति न चाहते हुए भी धूम्रपान की तरह जहरीले रसायनों (केमिकल्स) को अपने भीतर उतार रहा है. उदाहरण के लिए दिल्ली में सांस लेना 50 सिगरेट पीने के बराबर हो गया है. वहीं दूसरी तरफ खराब हवा हमारी उम्र को भी कम कर रही है.
‘शिकागो विश्वविद्यालय’ के ऊर्जा नीति संस्थान की एक रिपोर्ट के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि दिल्ली में रहने वाले लाखों लोग ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों की तुलना में औसतन 11.9 साल कम जी सकेंगे. यदि प्रदूषण का स्तर बना रहता है, तो भारत में एक औसत निवासी के जीवन में 3.4 साल की कमी आ सकती है. इसका दूसरा पहलू यह भी है कि स्माॅग की वजह से होने वाला आर्थिक नुकसान भारत के साथ पूरी दुनिया में लोगों की सेहत, कामकाज और कुल मिलाकर आर्थिक विकास को प्रभावित करता है.
गौरतलब है कि वायु प्रदूषण सिर्फ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक समस्या भी है. ‘यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम’ की एक रिपोर्ट के अनुसार हवा की गंदगी की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को हर साल करीब 8.1 ट्रिलियन डॉलर (664.2 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होता है, जो दुनिया की कुल जीडीपी का लगभग 6.1 प्रतिशत हिस्सा है. इसमें हेल्थकेयर कॉस्ट, कम उत्पादकता और पर्यावरण को होने वाले नुकसान शामिल हैं.
गौरतलब है कि दुनिया के 127 देशों में हवा प्रदूषित है. ‘आईक्यूएयर’ की रिपोर्ट में पाया गया है कि केवल सात देश ही अंतरराष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को पूरा कर रहे हैं. सर्वे में शामिल 134 देशों में से केवल सात देश ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, माॅरीशस और न्यूजीलैंड ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देश सीमा को पूरा कर रहे हैं. ‘आईक्यूएयर’ की रिपोर्ट के अनुसार सबसे प्रदूषित देश पाकिस्तान है, जहां पीएम 2.5 का स्तर ‘डब्ल्यूएचओ’ मानक से 14 गुना अधिक है. इसके बाद भारत, तजाकिस्तान और बुर्किना फासो सबसे अधिक प्रदूषित देश हैं.
‘ग्रीन पीस सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण से सबसे अधिक चीन की जीडीपी को 6.6 प्रतिशत नुकसान, तो वहीं भारत को 5.4 प्रतिशत, रूस को 4.1 प्रतिशत, जर्मनी को 3.5 प्रतिशत एवं अमेरिका की जीडीपी को 3 प्रतिशत का नुकसान हुआ है. इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण से ग्लोबल इकोनॉमी को हर साल 664.4 लाख करोड़ रुपए तो वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को 7.8 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.